कोरेगांव भीमा युद्ध: 204वीं जयंती पर लाखों लोगों ने दी जयस्तंभ पर श्रद्धांजलि
कोविड-19 के मामलों की बढ़ती संख्या और इसके कारण लागू पाबंदियों के बावजूद कोरेगांव भीमा युद्ध की 204वीं जयंती पर शनिवार दोपहर लाखों लोगों ने कड़ी सुरक्षा के बीच जयस्तंभ पर श्रद्धांजलि दी।
कोविड-19 के मामलों की बढ़ती संख्या और इसके कारण लागू पाबंदियों के बावजूद कोरेगांव भीमा युद्ध की 204वीं जयंती पर शनिवार दोपहर लाखों लोगों ने कड़ी सुरक्षा के बीच जयस्तंभ पर श्रद्धांजलि दी। महार रेजिमेंट के पेरने गांव स्थित इस स्मारक पर पिछले साल लोगों की संख्या कम थी।
पुणे ग्रामीण इलाके के एसपी अभिमन्यु देशमुख ने बताया कि सुबह से ही गांवों से बसों में भरकर लोगों के कोरेगांव भीमा पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। पुणे जिला प्रशासन ने अपील की थी कि कोरोना के मद्देनजर 60 वर्ष से ज्यादा के बुजुर्ग और 10 साल से कम के बच्चे यहां न आएं। बुजुर्गों की संख्या तो कम दिखी, लेकिन बच्चे अपने परिवार के साथ पहुंचे। यहां श्रद्धांजलि देने के लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार, गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल, समाज कल्याण मंत्री धनंजय मुंडे, ऊर्जा मंत्री नितिन राउत, सांसद अमोल कोल्टे, वीबीए के नेता प्रकाश आंबेडकर आदि भी पहुंचे।
पुणे जिला प्रशासन ने लोगों को बसों के साथ जनसुविधाएं उपलब्ध कराई थीं। अफवाहें रोकने के लिए जयस्तंभ के आसपास के इलाके में धारा 144 लागू की गई थी। सोशल मीडिया पर सामुदायिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने वाली पोस्ट पर कड़ी नजर रखी गई। युद्ध की 200वीं जयंती पर 1 जनवरी 2018 को यहां हिंसा भड़क उठी थी।
जातिवाद पर जीत का प्रतीक मानकर मनाते हैं जयंती
दलित विचारक इस दिन को जातिवाद पर जीत का प्रतीक मानते हैं। कोरेगांव भीमा में 1 जनवरी 1818 को पेशवा की सेना का अंग्रेजों की सेना से युद्ध हुआ था। पेशवा की सेना को ब्राह्मणों की सेना माना जाता था, जबकि अंग्रेजों की ओर से लड़ने वाले ज्यादातर सैनिक दलित महार समाज के थे। इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई, जिसे महार समाज जातिवाद पर जीत मानता है। ब्रिटिश सेना ने इस युद्ध में भाग लेने वाले दलित सैनिकों की स्मृति में जयस्तंभ बनवाया था।