महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ सुनवाई टली
बांबे हाई कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ अवमानना मामले में सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी
बांबे हाई कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ अवमानना मामले में सुनवाई एक सप्ताह के लिए टाल दी। अवमानना की याचिका एनसीबी के मुंबई जोन के पूर्व निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े ने लगाई है। याचिका इस तर्क के आधार पर टाली गई है कि नवाब मलिक मनी लांड्रिंग मामले में पहले ही जेल में हैं। ध्यानदेव ने अपनी याचिका में दावा किया कि नवाब मलिक ने पिछले वर्ष दिसंबर में अदालत में कहा था कि वह वानखेड़े के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर कोई अपमानजनक सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। इसके बावजूद वह ऐसा कर रहे थे। जस्टिस एसजे कथावाला और एमएन जाधव की खंडपीठ ने इस मामले में मलिक को नोटिस जारी किया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस कथावाला ने कहा कि मलिक मनी लांड्रिंग मामले में पहले ही जेल में है। ऐसे में अवमानना मामले में इस समय सजा देने का कोई मतलब नहीं है। मलिक के वकील फिरोज भरूचा ने कहा कि इस मामले में सजा देने से पहले मलिक का पक्ष सुना जाना चाहिए। इसके बाद ध्यानदेव के वकील बिरेंद्र सर्राफ ने कहा कि इस मामले को टाला जा सकता है। अदालत ने मामले की सुनवाई सात मार्च तक के लिए टाल दी।
मनी लांड्रिंग मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को गत दिनों स्वास्थ्य कारणों से जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अब मलिक को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। एक अधिकारी ने बताया कि मलिक ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की शिकायत की थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक को भगोड़ा गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहायकों की गतिविधियों से जुड़े मनी लांड्रिंग के एक मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद विशेष अदालत ने उन्हें तीन मार्च तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया था। विशेष अदालत का विस्तृत आदेश सामने आया। इसमें विशेष न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने कहा, पहली नजर में यह मानने का पर्याप्त आधार है कि नवाब मलिक के खिलाफ आरोप तथ्यों पर आधारित है। अपराध की जांच के लिए एजेंसी को पर्याप्त समय दिए जाने की जरूरत होगी। इसे देखते हुए मलिक को हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है।