महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) के बीच तीखी ज़ुबानी जंग चल रही है. हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रसाद लाड द्वारा शिवसेना भवन को लेकर दिए बयान पर शिवसेना आगबबूला है. सोमवार को शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में भाजपा पर तीखा वार किया है. सामना में लिखा गया है कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी का अंतकाल करीब आ गया है.
सामना में कहा गया है, 'उनके कदम जिस तरह से उल्टे-सीधे पड़ रहे हैं, इससे यह स्पष्ट होता है. भूमिपुत्रों की अस्मिता का प्रतीक माने जानेवाले शिवसेना भवन की ओर जिस किसी ने भी तिरछी नजर से देखा वे सभी नेता व उनकी पार्टी वर्ली की गटर में बह गए. वे फिर दोबारा कभी किसी को नहीं मिल सके.'
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा, 'शिवसेना से राजनीतिक मतभेद रखनेवाले कई लोगों ने शिवसेना को समय-समय पर चुनौती दी. शिवसेना उन चुनौतियों की छाती पर चढ़कर खड़ी रही, परंतु उन राजनीतिक विरोधियों ने कभी शिवसेना भवन तोड़ने-फोड़ने की बात नहीं कही. भूमिपुत्रों के हृदय में जो स्थान हुतात्मा स्मारक का है, वही प्रेरणा व भावना शिवसेना भवन के संदर्भ में भी सभी दलों के भूमिपुत्रों में है.'
'कुछ लोगों के पेट में दर्द'
भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा गया कि भगवे झंडे को लेकर कुछ लोगों के पेट में दर्द उठने के कारण ही शिवसेना भवन तोड़ने की उद्दंडतावाली बात उन्होंने कही. सच कहें तो इन लोगों पर गौर किया जाए और इन हलके लोगों के बारे में यहां कुछ लिखने या बोलने की हमारी बिल्कुल भी इच्छा नहीं है. फिर ये जो कोई भी तोड़-फोड़ करने की बात कर रहे हैं उनकी हैसियत सिर्फ चिंदीचोर दलालों वाली है.
सामना में आगे लिखा गया कि भारतीय जनता पार्टी किसी समय निष्ठावान, जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की पार्टी थी. एक विचारों से भरी हुई हिंदुत्ववादी विचारोंवाली पीढ़ी इस पार्टी में थी. बाहरी, पतित लोगों को यहां स्थान नहीं था, परंतु अब मूल विचारों वाले लोग कबाड़ व पतित लोगों को पालकी में बैठाकर नाच रहे हैं. इसीलिए इस पार्टी का अंतकाल करीब आ गया है.
'...कंधे पर ही जाना पड़ेगा'
सामना में लिखा गया कि 'हमने बाबरी नहीं गिराई है' ऐसा क्रंदन करके बाबर को पीठ दिखानेवाले आज पतित लोगों के दम पर शिवसेना का 'सामना' करना चाहते हैं, यह आडवाणी, अटल बिहारी की महान पार्टी का पतन और शोकांतिका नहीं तो क्या है? शिवसेना कई अग्निदीपों से पवित्र होकर आगे आई है.
सामना में तीखा वार करते हुए कहा गया कि ऐसे पतित, यही महाराष्ट्र और मराठी लोगों का काल सिद्ध हो रहे हैं, परंतु आनेवाले समय के प्रवाह में ये पतित वरली की गटर में बहकर हमेशा के लिए खत्म हो गए. उनका नामोनिशान भी नहीं बचा. शिवसेना भवन से पंगा लेने की बात छोड़ ही दो, ऐसा इंसान अभी पैदा होना बाकी है. एक बात याद रखो शिवसेना भवन तक तुम अपने पांव पर चलकर आओगे, परंतु जाते समय कदाचित 'कंधे' पर ही जाना पड़ेगा. इसके लिए आते समय 'कंधा' देनेवाले भी लेकर आना. महाराष्ट्र के अस्तित्व पर आनेवालों को कंधे पर ही जाना पड़ता है, यह इतिहास ही है.