फसल के नुकसान के आकलन के लिए उपग्रहों का सहारा लेगी सरकार,डिप्टी CM फडणवीस ने कही ये बड़ी बात
राज्य के राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि अगर उपग्रहों का उपयोग किसानों को मुआवजे के आकलन और भुगतान के लिए किया जाता है, तो इससे सरकारी कर्मचारियों के कई घंटे बचेंगे और किसानों को धन के त्वरित वितरण में मदद मिलेगी।
प्राकृतिक आपदाओं या किसी अन्य कारणों से फसलों को होने वाले नुकसानों का अब आसानी से आकलन किया जा सकेगा। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार विभिन्न कारणों से फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए उपग्रहों की मदद लेने की योजना बनाने में जुटी है। राज्य के अधिकारियों ने इस बाबत डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को एक प्रेजेंटेशन भी दिखाया। पूरे प्रोजेक्ट की जानकारी लेने के बाद डिप्टी सीएम ने इस विषय पर आगे की कार्रवाई के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है।
गुरुवार को राज्य के अधिकारी ने बताया कि इस योजना के जरिए अधिक तेजी के साथ और सुविधापूर्ण तरीके से फसलों के नुकसान का आकलन किया जा सकेगा। इससे किसानों को मुआवजा देने में भी आसानी हो सकेगी।
वहीं, मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने अपने संबोधन में इस योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उपग्रह आधारित फसल क्षति मूल्यांकन और मुआवजा इस क्षेत्र में एक गेम चेंजर होगा। उपग्रहों द्वारा मिली नुकसान की फोटोज तीव्रता से मिल सकेंगी। जिससे क्षतिपूर्ति भुगतान करने के लिए प्रक्रिया तेज हो सकेगी। उन्होंने बताया कि बुधवार को उन्होंने योजना से संबंधित प्रेजेंटेशन देखा। उसमें कुछ समस्याएं थीं, जिन्हें छीक करने के लिए कहा है। जल्द ही ये योजना धरातल पर होगी। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली ऑटोपायलट मोड पर काम करेगी, जिसका मतलब है कि इसमें न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप होगा।
गौरतलब है कि वर्तमान में फसलों के नुकसान का आकलन करने के लिए पहले सरकार को एक लिखित आदेश जारी करना होता है, जिसमें राजस्व अधिकारियों को प्रभावित खेतों का दौरा करने, सर्वेक्षण करने और फिर क्षति आकलन रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा जाता है। रिपोर्ट को तहसील से जिले में राज्य स्तर पर स्थानांतरित किया जाता है, और फसल के महत्व और इसकी उत्पादन लागत के आधार पर, सरकार मौद्रिक मुआवजे की घोषणा करती है।
राज्य के राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि अगर उपग्रहों का उपयोग किसानों को मुआवजे के आकलन और भुगतान के लिए किया जाता है, तो इससे सरकारी कर्मचारियों के कई घंटे बचेंगे और किसानों को धन के त्वरित वितरण में मदद मिलेगी।