मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर फरार, गैर जमानती वारंट जारी

अभी तक देश से अपराधी ही फरार हो रहे थे.

Update: 2021-10-28 18:05 GMT

अभी तक देश से अपराधी ही फरार हो रहे थे, लेकिन अब देश का एक बड़ा अधिकारी ही फरार हो गया है. ये अधिकारी हैं मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) , जो महाराष्ट्र सरकार की ठीक नाक के नीचे से गायब हो चुके हैं. मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो गया है. आज हमने इनकी हर ठिकानों पर तलाश की है. हम इस देशव्यापी पड़ताल को दिखाएंगे, लेकिन एक अफसर के गायब होने की पूरी फिक्र पहले समझ लीजिए.

यूं तो परमबीर सिंह दस्तावेजों पर दो महीने से फरार हैं, लेकिन हकीकत में करीब साढ़े पांच महीने से उनका कोई अता-पता नहीं है. मतलब ये कि एक अफसर जिस पर व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी थी, उस अफसर के इस तरह गायब हो जाने से और उसकी तलाश में जुटी एजेंसियों के नाकाम हो जाने से पूरी व्यवस्था का तमाशा बन गया है.
परमबीर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो गया है. इस पर 26 अक्टूबर की तारीख दर्ज है, जिसमें ठाणे के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने ठाणे पुलिस को परमबीर सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने पेश करने के लिए कहा गया है. परमबीर को मुंबई पुलिस खोज रही है, महाराष्ट्र की CID खोज रही है, NIA खोज रही है, लेकिन परमबीर लापता हैं. उन्हें जमीन निगल गई या आसमान खा गया या फिर कानून का रखवाला खुद ही कानून को गच्चा देकर विदेश उड़ गया. इसके बारे में कोई नहीं जानता, लेकिन ऐसा हुआ क्यों. ये समझने के लिए आपका ये जानना जरूरी है कि उन पर क्या-क्या आरोप हैं.

27 सितंबर को ठाणे में जबरन वसूली का मामला दर्ज

जिस दिन से परमबीर छुट्टी पर गए थे यानी 5 मई को, उसी दिन उनके खिलाफ तीन कारोबारियों से करोड़ों की वसूली का आरोप लगा था. 22 जुलाई को परमबीर सिंह के खिलाफ 15 करोड़ रुपए रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ था. 30 जुलाई को फिरौती और धमकी देने का केस दर्ज हुआ. 20 अगस्त को वसूली का एक और केस दर्ज हुआ. 27 सितंबर को ठाणे में भी जबरन वसूली का मामला दर्ज हुआ था.

दरअसल जबरन वसूली के चक्रव्यूह में फंसे परमबीर सिंह से एंटीलिया केस का भी एक सिरा जुड़ता है. एंटीलिया केस आपको याद होगा, खबर आई थी की एंटीलिया के सामने आतंकियों ने विस्फोटक भरी कार रखी थी. लेकिन जांच होने पर महाराष्ट्र पुलिस का असिस्टेंट इंस्पेक्टर सचिन वाझे ही इसकी चपेट में आ गया और फिर मामला खुलते खुलते 100 करोड़ रुपए की वसूली के प्लान तक जा पहुंचा. तब परमबीर सिंह मुंबई के पुलिस कमिश्नर थे और उन पर शिकंजा कसने की शुरुआत वहीं से हुई थी.

29 अगस्त के बाद से परमबीर सिंह से नहीं हुआ कोई संपर्क

एंटीलिया मामले के बाद परमबीर सिंह को कमिश्नर की कुर्सी से उतारकर 17 मार्च को होमगार्ड डिपार्टमेंट में ट्रांसफर कर दिया गया था. 22 मार्च को परमबीर सिंह ने होमगार्ड DG का पद संभाला था. इसके बाद 7 अप्रैल को एंटीलिया मामले में समन के बाद वो NIA के सामने पेश हुए थे. परमबीर सिंह 4 मई को आखिरी बार ऑफिस आए थे. 5 मई को उन्होंने सर्जरी के लिए 30 दिन की छुट्टी अप्लाई की थी. बाद में उन्होंने छुट्टी को 30 दिन और बढ़ा दिया था. सर्जरी के बाद बेड रेस्ट की बात कहते हुए अगस्त के दूसरे हफ्ते में फिर छुटी बढ़ाई और 29 अगस्त तक छुट्टी ली. सभी को लग रहा था कि वो अपने होम टाउन चंडीगढ़ में रेस्ट पर हैं, लेकिन 29 अगस्त के बाद परमबीर से कोई संपर्क नहीं हुआ और उसके बाद से उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है.

जांच एजेंसिंयां समन और पेशी के जाल में उलझी रहीं और लुक आउट नोटिस जारी होने के बावजूद एक बड़ा पुलिस अफसर अचानक गायब हो गया, किसी को भनक तक नहीं लगी और अभी तक कोई भनक नहीं है. यकीनन ये कानून का तमाशा है और कई सवाल खड़े करता है. सवाल 1- एक सेवारत और बड़ा पुलिस अफसर कैसे गायब हो सकता है? सवाल 2- अगर परमबीर सिंह बेकसूर हैं, तो अपराधी की तरह अंडरग्राउंड क्यों? सवाल 3- गिरफ्तारी से बचने के लिए परमबीर देश में कहीं छुपे हैं या विदेश भाग गए? सवाल 4- इतने बड़े पुलिस अफसर का गायब होना साजिश है या मिलीभगत? सवाल 5- परमबीर सिंह के फरार होने से आखिर किसको फायदा?


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