मस्जिद में महिलाओं के नमाज पढ़ने की सुविधा की शुरुआत, बनाया गया अलग कमरा

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Update: 2022-05-19 16:48 GMT

मुंबई: इस्लाम धर्म में महिलाओं को मस्जिदों के भीतर जाकर नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है. महिलाएं मस्जिदों में जाकर प्रार्थना नहीं कर सकतीं क्योंकि धर्म के अनुसार उनपर कई तरह की पाबंदियां होती हैं. लेकिन अब मुंबई शहर की एक मस्जिद ऐसी है जिसने इस सोच को बदलने का जिम्मा उठाया है. इस मस्जिद में महिलाओं के नमाज पढ़ने की सुविधा की शुरुआत की गई है. मुंबई की जुमा मस्जिद में अब महिलाएं ना सिर्फ प्रवेश कर सकती हैं, बल्कि वह मस्जिद में नमाज भी पढ़ सकती हैं.

महिलाओं के लिए की गई खास व्यवस्था
दक्षिण मुंबई के सबसे बड़े और प्रसिद्ध बाजारों में से एक क्रॉफर्ड मार्केट में स्थित जुमा मस्जिद (बोलचाल में जामा मस्जिद) पुराने मस्जिदों में से एक है. भीड़-भाड़ वाले बाजार में स्थित इस मस्जिद में रोजाना सैकड़ों लोग नमाज पढ़ने आते हैं. लेकिन अब इस मस्जिद ने महिलाओं के लिए जो कदम उठाया है उसकी काफी सराहना की जा रही है. मस्जिद ट्रस्ट के अनुसार अब इस मस्जिद में महिलाओं के नमाज पढ़ने के लिए भी खास व्यवस्था की गई है.
'धर्म के ठेकेदार कर रहे गुमराह'
दशकों पुरानी यह मस्जिद 3 फ्लोर की है, जिसके ग्राउंड फ्लोर पर महिलाओं के नमाज के लिए अलग जगह बना दी गई है. यह सुविधा उन महिलाओं के लिए भी खास है जो बाजारों में खरीदारी या दूसरे कामों के चलते घर से दूर आती हैं लेकिन नमाज के समय नमाज नहीं पढ़ पातीं. मस्जिद की इस पहल से मुस्लिम महिलाएं बेहद खुश हैं. महिलाओं का कहना है कि कुरान में महिलाओं को मस्जिदों में नमाज पढ़ने से रोका नहीं गया है, लेकिन कुछ इस्लाम के ठेकेदारों ने इस तरह की बातें कहकर लोगों को गुमराह कर दिया है. महिलाएं इस बात से खुश हैं कि जुमा मस्जिद की इस पहल से अब उन्हें शहर की अन्य मस्जिदों में भी नमाज पढ़ने की सुविधा मिल सकेगी.
महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने के हैं कुछ नियम
जुमा मस्जिद ट्रस्ट के ट्रस्टी शोएब खातिब ने बताया कि उनकी मस्जिद काफी बड़ी है, काफी जगह है. इसलिए उन्होंने अपने मौलवी-मौलानाओं और ट्रस्ट के बाकी लोगों से सलाह-मशविरा किया, जिसमें महिलाओं के अलग से नमाज पढ़ने की सुविधा देने की बात पर रजामंदी बनी और महिलाओं के लिए यह व्यवस्था की गई. शोएब से जब पूछा गया कि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों में नमाज पढ़ने की इजाजत क्यों नहीं है? तो उन्होंने साफ किया कि कुरान या पैगम्बर मोहम्मद ने महिलाओं के नमाज पर रोक नहीं लगाई है. इस्लाम में महिलाओं को सभी हक दिए गए हैं. लेकिन इस्लाम में एक नियम है जिसे हर किसी को पालन करना चाहिए. महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए जो नियम हैं जैसे गैर मर्दों की नजर ना पड़े, वो मर्दों से अलग नमाज पढ़ें, इन नियमों का पालन होना जरूरी है. इस कदम में हमने वो सारे नियम पूरे किए हैं. इस बात को सुनिचित करने के बाद ट्रस्ट की ओर से यह निर्णय लिया गया. ट्रस्ट के चेयरमैन शोएब भी इस बात से खुश हैं कि उनकी इस पहल से दूसरे मस्जिदों में भी मुस्लिम महिलाओं के नमाज पढ़ने की सुविधा देने पर विचार किया जा सकेगा.
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