16 जिलों में बारिश से नुकसान, इन जिले के किसानों को मिलेगी मदद
महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश के कारण खरीफ फसलों के साथ-साथ बागों को भी भारी नुकसान हुआ था.
महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश के कारण खरीफ फसलों के साथ-साथ बागों को भी भारी नुकसान हुआ था. इसके बाद राज्य सरकार ने पंचनामा और डैमेज इंस्पेक्शन टूर कर मदद की घोषणा की. लेकीन राज्य के 16 जिलों में से 15 जिलों को राहत सूची में शामिल किया गया है. सरकार ने पाया है कि जलगांव जिले के एक भी किसान को नुकसान नहीं पहुंचा है और इसे राहत सूची से बाहर कर दिया गया है. जिले के किसान प्रशासन के इस फैसले से नाराज नजर आ रहे हैं, जिसके बाद अब जिले के 6 लाख किसान मदद से वंचित रह जाएंगे.
जलगांव जिले में खरीफ के साथ-साथ बागों का क्षेत्रफल भी अधिक है. अगस्त और अक्टूबर के बीच हुई बारिश में फसलों से ज्यादा बागवानी फलों का नुकसान हुआ था. इसलिए यहां के किसान सरकारी मदद की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं कर रहे थे. प्रसाशन की तरफ से 26 अक्टूबर को किसानों को नुकसान की तुलना में अधिक दर पर सहायता देने का निर्णय लिया गया था. लेकिन जलगांव जिले को इससे बाहर रखा गया. ऐसे में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.
इन जिले के किसानों को मिलेगी मदद
राज्य के 15 जिलों के किसानों को सरकारी सहायता मिलेगी. इनमें औरंगाबाद, जालना, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, बीड, लातूर, उस्मानाबाद, नागपुर, गढ़चिरौली, नासिक, धुले, नंदुरबार और अहमदनगर जिले शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर मराठवाड़ा से सटे बरशी तालुका को भी बाहर रखा गया है. कुछ किसानों का कहना हैं कि सरकार ने मदद की घोषणा तो की लेकिन पारदर्शिता नहीं दिखाई.
ऐसी है जिले की स्थिति
जलगांव जिले में बागों का क्षेत्रफल अधिक है. इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाओं के कारण बागों का नुकसान हर साल तय किया जाता है. इसलिए ज्यादातर किसान बीमा पर निर्भर हैं. इस साल भी जिले के 34,043 किसानों ने कंपनी को बीमा राशि का भुगतान किया था. लेकिन इनमें से केवल 12,847 किसान ही सहायता के पात्र हैं. इन पात्र किसानों को मुआवजे के रूप में 28 करोड़ 3 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं जबकि जिले के कुल किसानों ने बीमा कंपनी को 34 करोड़ 4 लाख रुपए का भुगतान किया है.
जलगांव में सबसे ज्यादा केला का उत्पादन किया जाता है. कृषि विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, महाराष्ट्र में 44,000 हेक्टेयर क्षेत्र में केले की खेती होती है. इसमें से आधे से अधिक क्षेत्र अकेले जलगांव जिले में है. जलगांव जिले को केले का डिपो माना जाता है. इसके अलवा कपास की खेती भी जलगांव में बड़े पैमाने पर की जाती है.