NCP और शिवसेना के रवैये से नाराज कांग्रेस, कल दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मिलेंगे महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता
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महाराष्ट्र की उद्धव सरकार संकट में आ सकती है. महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन में लगातार नाराजगी की खबरें आ रही है. कांग्रेस नेताओं का गठबंधन सरकार में सहयोगी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है. सोमवार को महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात करेंगे और पूरा ब्यौरा देंगे. इसके साथ ही राज्यसभा चुनाव में एक सीट की उम्मीदवारी को लेकर भी बात की जाएगी.
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के साथ कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोराट, नितिन राउत और अमित देशमुख का नाम भी शामिल है. ये सभी नेता कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात करेंगे और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले राज्य में पार्टी की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी देंगे. महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलने की संभावना है.
खबर है कि कांग्रेस विधायक की एनसीपी कोटे के मंत्रियों से नाराजगी ज्यादा बढ़ गई है. इस संबंध में शिकायतें भी की गई हैं. कांग्रेस विधायकों का आरोप है कि एनसीपी कोटे के मंत्रियों ने अपने स्थानीय कैडर को लाभ पहुंचाने के लिए गलत ढंग से विकास निधि आवंटित की है. ऐसे कई उदाहरण भी बताए हैं, जब निर्णय लेने से पहले स्थानीय कांग्रेस विधायकों से सलाह तक नहीं ली गई.
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जब गठबंधन सरकार बनी थी, तब त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार निर्णय लिया गया था कि किसी भी जिले में अधिक विधायकों वाली पार्टी को कुल हिस्सेदारी का 60 प्रतिशत मिलेगा. जबकि अन्य दो को फंड का 20-20 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा. लेकिन, 60:20:20 के फॉर्मूले का पालन बिल्कुल भी नहीं हो रहा है. खासकर एनसीपी के मंत्री इस नियम को नहीं मान रहे हैं.
इसके अलावा, कांग्रेस विधायकों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों में विकास कार्यों का सारा श्रेय शिवसेना और एनसीपी के नेताओं को दिया जाता है. इसमें कांग्रेस नेताओं का ध्यान नहीं रखा जाता है. इस वजह से स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नाराजगी है और वे निकाय चुनावों को लेकर आशंकित देखे जा रहे हैं. पार्टी कैडर का कहना है कि इससे संगठन को नुकसान पहुंच रहा है
हाल ही में गोंदिया जिला परिषद चुनावों में एनसीपी ने अध्यक्ष पद के लिए गुप्त तौर पर समर्थन दिया. इस मसले पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी नेता, डिप्टी सीएम अजीत पवार के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया था. एनसीपी ने निकाय चुनाव मं कांग्रेस को झटका देकर उपसभापति का चुनाव जीत लिया था. जिसके बाद पटोले ने गठबंधन सरकार से बाहर निकलने का अल्टीमेटम दिया था.
हालांकि, अजीत पवार ने तब आरोपों को हास्यास्पद बताते हुए खारिज कर दिया था. पवार ने यह भी इशारा किया था कि पटोले खुद बीजेपी से कांग्रेस में कूदते रहे हैं. वहीं, नाना पटोले ने कांग्रेस के राज्य नेतृत्व के साथ बिना किसी चर्चा के आगामी निकाय चुनावों के लिए तीन-वार्ड प्रणाली तैयार करने के लिए शिवसेना पर तीखा हमला किया।
उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे पर 'अवसरवाद' के लिए नाराजगी भी जताई थी. बता दें कांग्रेस भी बीएमसी चुनाव की तैयारी में है. मुंबई कांग्रेस प्रमुख भाई जगताप ने बीएमसी चुनावों में तीन दलों के गठबंधन की संभावना को खारिज करते हुए 'एकला चलो रे' स्टैंड पर रहने की बात कही है.