एकनाथ के समर्थन में आए भाई जयदेव ठाकरे, रैली के बीच उद्धव को बड़ा झटका दे गए शिंदे

Update: 2022-10-05 16:32 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: livehindustan

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को उद्धव ठाकरे को एक और झटका दिया। दरअसल महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जब मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को संबोधित कर रहे थे तब उनके भाई जयदेव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे का समर्थन करने का ऐलान किया। उद्धव ठाकरे के भाई जयदेव ठाकरे ने कहा कि "उनका पूरा समर्थन" प्रतिद्वंद्वी एकनाथ शिंदे के साथ है। यही नहीं, बाल ठाकरे के बेटे जयदेव मुंबई के बीकेसी मैदान में दशहरा रैली में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ मंच पर नजर आए।

टीम शिंदे द्वारा आयोजित दशहरा कार्यक्रम में बोलते हुए जयदेव ठाकरे ने कहा, "पिछले 5-6 दिनों से मुझसे पूछा गया है कि क्या आप शिंदे गुट में हैं। ठाकरे किसी भी गुट में नहीं हो सकते। मुझे शिंदे की तरफ से उठाए गए कदम पसंद हैं और प्यार से मैं यहां आया हूं।" जयदेव ठाकरे ने जनता को संबोधित करते हुए कहा, "एकनाथ को अकेला न छोड़ें। आप सभी को उनका समर्थन करना चाहिए। शिंदे गरीबों और किसानों के लिए काम कर रहे हैं। शिंदे हमारे किसानों के समान हैं, वह बहुत मेहनती हैं।"

उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा, शिंदे राज को वापस आने दो। चुनाव होने दो और शिंदे राज को वापस लाओ। मेरा पूरा समर्थन एकनाथ शिंदे के साथ है।" उद्धव के भाई को अपने पाले में कर शिंदे ने पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत पर अपना दावा तेज कर दिया है। शिंदे शिवसेना के बागी गुट की अगुवाई करते हैं। बीकेसी के एमएमआरडीए मैदान में हुई शिंदे की अगुवाई वाले गुट की रैली में जयदेव ठाकरे की उनसे अलग रह रही पत्नी स्मिता भी मौजूद थीं। साथ में उद्धव ठाकरे के सबसे बड़े भाई दिवंगत बिंदूमाधव ठाकरे के बेटे निहार भी रैली में मौजूद थे।

इनके अलावा शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के 27 साल तक करीबी सहयोगी रहे चंपा सिंह थापा भी रैली में मौजूद थे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्मिता ठाकरे ने कहा कि शिंदे ने उन्हें रैली के लिए आमंत्रित किया था। बताया जाता है कि बाल ठाकरे के बेटे जयदेव ठाकरे के अपने छोटे भाई उद्धव ठाकरे के साथ मधुर संबंध नहीं हैं।

शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत गुट ने मध्य मुंबई के शिवाजी पार्क में अपनी दशहरा रैली का आयोजन किया था। शिंदे और उद्धव ठाकरे, दोनों ने ही अपने-अपने गुट को 'असली' शिवसेना बताया है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ शिंदे की बगावत की वजह से शिवसेना की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार जून में गिर गई थी।

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