दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने 2017 में दुर्घटना में जान गंवाने वाले व्यक्ति के परिवार को 17.85 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2017 में एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में जान गंवाने वाले 36-वर्षीय व्यक्ति के परिवार को 17.85 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है.

Update: 2022-08-23 12:34 GMT


महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने 2017 में एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में जान गंवाने वाले 36-वर्षीय व्यक्ति के परिवार को 17.85 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. एमएसीटी के सदस्य शौकत एस गोरवडे ने दुर्घटना में शामिल वाहन के मालिक और 'न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड' को आवेदन दाखिल करने की तारीख से छह प्रतिशत प्रति वर्ष के हिसाब से ब्याज के साथ मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया. यह आदेश चार अगस्त को पारित किया गया था और इसकी प्रति मंगलवार को उपलब्ध करवाई गई थी.

आवेदकों की ओर से पेश अधिवक्ता सचिन माने ने न्यायाधिकरण को सूचित किया कि पीड़ित आलम अली सिद्दीकी अली खलीफा एक बुटीक में दर्जी था और हर महीने 15,000 रुपये कमाता था. न्यायाधिकरण को सूचित किया गया कि आठ दिसंबर, 2017 को खलीफा एक दोस्त की मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर जा रहा था, तभी दूसरी दिशा से आ रहे एक दोपहिया वाहन ने उनके वाहन को टक्कर मार दी. वकील ने बताया कि पीड़ित मोटरसाइकिल से नीचे गिर गया और गंभीर रूप से घायल होने के कारण उसकी मौत हो गई.

पीड़ित व्यक्ति के परिवार ने हादसे के लिए जिम्मेदार वाहन के मालिक हरदीप सिंह बोले और बीमा कंपनी से 31.07 लाख रुपये की मांग की थी. हालांकि, दोपहिया वाहन का मालिक सुनवाई के लिए पेश नहीं हुआ और उसके खिलाफ मामले का एकतरफा फैसला किया गया, जबकि बीमा कंपनी का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता डी. एस. द्विवेदी ने इस दावे का विरोध किया.



दावेदार परिवार के सदस्यों में मृतक की पत्नी, उसकी मां और दो नाबालिग बच्चे शामिल हैं.

एमएसीटी के आदेश के अनुसार, मुआवजे की राशि में स्थापित आय के लिए 10.80 लाख रुपये, भविष्य की संभावनाओं के लिए 5.40 लाख रुपये समेत अन्य खर्च शामिल हैं. न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया है कि मृतक के बच्चों के वयस्क होने तक तीन लाख रुपये सावधि जमा (फिक्स डिपोसिट) में रखे जाएं.


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