मुंबई में शख्स ने Ola के खिलाफ किया था केस, अब 15 हजार मिला मुआवजा
ओला कैब की चार्जिंग नीतियों को लेकर केस करने वाले एक व्यक्ति को 15 हजार का मुआवजा मिला है.
ओला कैब की चार्जिंग नीतियों को लेकर केस करने वाले एक व्यक्ति को 15 हजार का मुआवजा मिला है. दरअसल मुंबई के एक वकील 34 वर्षीय श्रेयंस ममानिया ने पिछले साल 19 जून को अपने परिवार के साथ कांदिवली से कालाचौकी की सवारी की थी. जब उन्होंने यात्रा की बुकिंग की, तो ऐप ने किराया 372 रुपये दिखाया. हालांकि, जब ममानिया और उनका परिवार अपने गंतव्य पर पहुंचे, तो कैब चालक ने उन्हें बताया कि उन्हें किराया 434 रुपये चुकाना होगा.
कैब का किराया डेस्टिनेशन पर पहुंचने के बाद अचानक 62 रुपये बढ़ गया
मिड-डे की रिपोर्ट के मुताबिक ममानिया ने बताया कि "किराया 62 रुपये बढ़ गया. मैंने ड्राइवर से पूछा कि यह कैसे हुआ, और उसने कहा 'ऐसी चीजें होती हैं, आप इसे बड़ा मुद्दा क्यों बना रहे हैं.' इससे मुझे गुस्सा आया. मैंने कस्टमर केयर पर कॉल की, लेकिन बमुश्किल कोई प्रतिक्रिया हुई. ड्राइवर ने मुझसे विनती की कि अगर मैं उसे पूरी राशि का भुगतान नहीं करता, तो उससे चार्ज लिया जाएगा. "ममानिया ने बताया, "मैंने 434 रुपये का भुगतान किया और बाद में ओला कस्टमर केयर से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. आखिरकार, मैंने उपभोक्ता फोरम से संपर्क करने का फैसला किया. मेरे परिवार के सदस्यों ने मुझे कहा कि मैं सिर्फ 62 रुपये के लिए उपभोक्ता फोरम में शिकायत क्यों दर्ज कर रहा हूं, उन्होंने कहा कि कि यह कोई बड़ी बात नहीं थी. "
ममानिया को मिला 15 हजार मुआवजा
लेकिन ममानिया ने किसी की नहीं सुनी और उन्होंने ने 17 अगस्त को शिकायत दर्ज करने का फैसला किया. फोरम ने 2 सितंबर को इसे स्वीकार कर लिया. 16 दिसंबर को कार्यवाही हुई. ममानिया ने मुआवजे के तौर पर चार लाख रुपये की मांग की थी हालांकि, फोरम ने कहा कि यह अनुपात से बाहर था. हालांकि फोरम ने सहमति व्यक्त की कि ममानिया को मुआवजा मिलना चाहिए और ओला कैब्स को आदेश के 30 दिनों के भीतर मुआवजे के रूप में 10,000 रुपये और शिकायत की लागत के रूप में 5,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया.
ओला अपने सॉफ्टवेयर में करे बदलाव-वकील
शिकायतकर्ता वकील ने कहा कि कई लोग कहेंगे कि यह सिर्फ 62 रुपये था. लेकिन मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि ओला इसे समझे और अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव करे. अगर रोजाना उसके 100 ग्राहकों के साथ भी ऐसा होता है, तो ओला को इससे 5,000 रुपये मिलते हैं, संभव है कि यह संख्या अधिक हो. हमें इसके खिलाफ लड़ना चाहिए."