18 मंत्रियों ने प्राइवेट हॉस्पिटल से करवाया कोरोना का इलाज, सरकारी खजाने से हुआ 1.39 करोड़ का भुगतान
कोरोना संकट काल में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों की श्रेणी में टॉप पर था।
कोरोना संकट काल में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों की श्रेणी में टॉप पर था। यहां 18 कैबिनेट और राज्य मंत्री कोरोना पॉजिटिव हुए। इनमें कई मंत्री दो बार संक्रमण का शिकार बने। इनमें से ज्यादातर को संक्रमित होने के बाद हॉस्पिटल्स में एडमिट भी होना पड़ा।
इस दौरान राज्य के सरकारी हॉस्पिटल्स में मिलने वाले सुविधाओं को लेकर सवालियां निशाना लगाए गए। हालांकि, सीएम उद्धव ठाकरे, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे समेत सभी मंत्रियों ने कहा कि महाराष्ट्र के सरकारी हॉस्पिटल्स में वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मिल रही हैं।
हालांकि, जब अपनी बारी आई तो इन वर्ल्डक्लास हॉस्पिटल्स यानी सरकारी हॉस्पिटल्स से लगभग सभी मंत्रियों ने दूरी बनाई। वे अपने इलाज के लिए राज्य के चर्चित प्राइवेट हॉस्पिटल्स में एडमिट हुए। इस दौरान 18 मंत्रियों के इलाज के लिए सरकारी खजाने से 1 करोड़ 39 लाख 26,720 रुपये का भुगतान प्राइवेट हॉस्पिटल्स को किया गया। इस बात का खुलासा दैनिक भास्कर की पड़ताल में हुआ है। मंत्रियों के मेडिकल एक्सपेंस का भुगतान हालांकि नियमों के मुताबिक है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या मंत्रियों को खुद अपनी सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा नहीं है?
निजी उपचार प्राप्त करने वाले शीर्ष 10 मंत्री (भुगतान रुपये में)
राजेश टोपे, स्वास्थ्य मंत्री (34 लाख 40930)
डॉ. नितिन राउत, ऊर्जा मंत्री (17 लाख 630,879)
हसन मुश्रीफ, ग्रामीण विकास मंत्री (14 लाख 56,604)
अब्दुल सत्तार, राजस्व राज्य मंत्री (12 लाख 56,748)
जितेंद्र आव्हाड, आवास मंत्री (11 लाख 76,278)
छगन भुजबल, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री (9 लाख 3,401)
सुनील केदार, पशुपालन मंत्री (8 लाख 71,890)
जयंत पाटिल, जल संसाधन मंत्री (7 लाख 30,513)
सुभाष देसाई, उद्योग मंत्री (6 लाख 97,293)
अनिल परब, मंत्री परिवहन का (6 लाख 79,606)
सरकारी कोष से निजी उपचार प्राप्त करने वाले अन्य मंत्री
अशोक चव्हाण, लोक निर्माण मंत्री (2 लाख 28,184)
संजय बंसोडे, पर्यावरण राज्य मंत्री (2 लाख 20,661)
विजय वडेट्टीवार, अन्य पिछड़ा वर्ग मंत्री (2 लाख 4,045)
के. सी. पडवी, आदिवासी विकास मंत्री (1 लाख 25,284)
सुनील केदार, पशुपालन मंत्री (1 लाख 15,521)
दत्तात्रेय भराने, राज्य मंत्री (1 लाख 5,886)
प्राजक्ता तानपुरे, ऊर्जा राज्य मंत्री (38 हजार 998)
नवाब मलिक, अल्पसंख्यक मंत्री (26 हजार 520)
29 बिलों का भुगतान सरकारी खजाने से हुआ
आरटीआई में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि 2020 से 2022 तक मंत्रियों के 29 मेडिकल बिलों का भुगतान सरकारी खजाने से हुआ है। मुंबई के ब्रीच कैंडी, लीलावती और बॉम्बे हॉस्पिटल्स का बिल सबसे ज्यादा है।
मंत्री अशोक चव्हाण को नांदेड़ के एक हॉस्पिटल में इलाज के बाद मुंबई शिफ्ट करवाया गया था।
मंत्री अशोक चव्हाण को नांदेड़ के एक हॉस्पिटल में इलाज के बाद मुंबई शिफ्ट करवाया गया था।
इन 10 प्राइवेट हॉस्पिटल्स को किया गया सबसे ज्यादा भुगतान
बॉम्बे हॉस्पिटल (41 लाख 38,223)
लीलावती अस्पताल (26 लाख 27,948)
ब्रीच कैंडी अस्पताल (15 लाख 37,922)
जसलोक अस्पताल (14 लाख 55,95)
फोर्टिस अस्पताल (11 लाख 76,278)
अवंती अस्पताल (7 लाख 56,3697)
ग्लोबल हॉस्पिटल (4 लाख 65,874)
अनिदीप अस्पताल(1 लाख 80 हजार)
केईएम अस्पताल (1 लाख 5,886)
आधार अस्पताल (88 हजार 466)
2 मंत्रियों ने 4 बार और 4 ने 2 बार करवाया भुगतान
आरटीआई के मुताबिक, दो मंत्रियों ने 2 साल में 4 बार अपने इलाज का भुगतान करवाया, जबकि 4 मंत्रियों का दो बार निजी अस्पताल में इलाज हुआ। इनमें से अधिकांश उपचार कोरोना, पोस्ट-कोरोना जटिलताओं, हार्ट सर्जरी और आई सर्जरी के हैं।
अपनी ही व्यवस्था पर नहीं है स्वास्थ्य मंत्री को भरोसा
आरटीआई में सबसे बड़ा खुलासा इस बात को लेकर हुआ है कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे को ही अपनी सरकारी व्यवस्था पर भरोसा नहीं है। दो साल में सर्वाधिक 34 लाख 40 हजार 930 रुपये का भुगतान उनके नाम पर किया गया। 3 जनवरी, 2021 को बॉम्बे अस्पताल से उनके इलाज के लिए 14 लाख 21,805 रुपये और उसी अस्पताल से 25 अक्टूबर 2021 को 20 लाख 19,125 रुपये का भुगतान हुआ।