शिंदे की शरण में सांसद गजानन कीर्तिकर, उद्धव गुट के ल‍िए झटका

महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने उद्धव ठाकरे को एक के बाद एक तगड़े झटके देने का सिलसिला जारी रखा है। इसी कड़ी में अब तक उद्धव ठाकरे गुट (Uddhav Thackeray) के रहे सांसद गजानन कीर्तिकर (Gajanan Kirtikar) ने शिंदे गुट का दामन आज औपचारिक रूप से थाम लिया है।

Update: 2022-11-12 03:26 GMT

महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने उद्धव ठाकरे को एक के बाद एक तगड़े झटके देने का सिलसिला जारी रखा है। इसी कड़ी में अब तक उद्धव ठाकरे गुट (Uddhav Thackeray) के रहे सांसद गजानन कीर्तिकर (Gajanan Kirtikar) ने शिंदे गुट का दामन आज औपचारिक रूप से थाम लिया है। शुक्रवार को मुंबई (Mumbai) के रवींद्र नाट्य मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कीर्तिकर का अपनी पार्टी में स्वागत किया। सांसद गजानन कीर्तिकर महाविकास अघाड़ी सरकार (Mahavikas Aghadi Government) के समय एनसीपी (NCP) के खिलाफ खुल कर अपनी नाराजगी जताने वाले नेता थे। कीर्तिकर के शिंदे सेना में शामिल होने बाद उद्धव का साथ छोड़ने वाले सांसदों की संख्या तेरह हो गई है। अब उद्धव सेना में सिर्फ पांच ही सांसद बचे हैं। एक समय था, जब गजानन कीर्तिकर बाला साहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) के बेहद करीबी थे। गजानन कीर्तिकर के एकनाथ शिंदे और बीजेपी के साथ जाने का उद्धव ठाकरे गुट पर खासा असर होने वाला है। गजानन कीर्तिकर ठाकरे गुट के बेहद अनुभवी और जमीनी नेता थे।

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आज शाम मुख्यमंत्री के सरकारी आवास वर्षा बंगले पर गजानन कीर्तिकर ने सीएम से मुलाकात की थी। इसके बाद वह रविंद्र नाट्य मंदिर के कार्यक्रम में नजर आए। जहां उन्होंने औपचारिक रूप से शिंदे गुट में प्रवेश किया। इस मौके पर उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की जमकर तारीफ भी की। वहीं एकनाथ शिंदे ने भी कहा कि गजानन कीर्तिकर जैसा वरिष्ठ नेता बालासाहेब की शिवसेना में शामिल होने से हमारी ताकत कई गुना बढ़ गई है। हमें कृतिका के अनुभव का काफी लाभ मिलेगा।

कीर्तिकर परिवार में फूट

सांसद गजानन कीर्तिकर ने भले ही एकनाथ शिंदे गुट को ज्वाइन कर लिया हो लेकिन उनके बेटे अमोल कीर्तिकर ने अभी भी ठाकरे गुट का दामन नहीं छोड़ा है। इस वजह से अब कीर्तिकर पिता-पुत्र गजानन कीर्तिकर और उनके बेटे अमोल कीर्तिकर के बीच में विवाद पैदा हो गया है। पिता के शिंदे गुट ज्वाइन करने के सवाल पर अमोल कीर्तिकर ने कहा कि मैंने कई बार उन्हें ऐसा न करने के लिए समझाया था लेकिन उन्होंने मेरी बात को अनसुना कर दिया। शिंदे गुट में शामिल होने का यह उनका निजी फैसला है।

गजानन कीर्तिकर के एकनाथ शिंदे गुट में शामिल होने के आसार काफी पहले से ही नजर आ रहे थे। खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनसे मुलाकात भी की थी। इसके बाद से ही कहा जा रहा था कि कीर्तिकर कभी भी शिंदे गुट में जा सकते हैं। हालांकि तब गजानन कीर्तिकर ने इन बातों को कोरी अफवाह बताया था। उन्होंने कहा था कि वह अभी भी उद्धव ठाकरे के साथ हैं लेकिन अंदर खाने में खिचड़ी कुछ और ही पक रही थी।

कीर्तिकर के जाने से ठाकरे को कितना नुकसान

गजानन कीर्तिकर के एकनाथ शिंदे गुट में जाने से उद्घव ठाकरे गुट को एक बड़ा झटका लगा है। इसका असर इसका असर यह होगा कि आने वाले बीएमसी चुनाव साथ ही साल 2024 में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में ठाकरे गुट को एकनाथ शिंदे और बीजेपी से कड़ी टक्कर मिलेगी। अब तक गजानन कीर्तिकर ने उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट पर अपना प्रभुत्व जमाकर रखा था। जिसका सीधा फायदा शिवसेना को मिलता था। जिसके चलते विधानसभा और बीएमसी चुनाव में शिवसेना को काफी फायदा होता था। हालांकि, कीर्तिकर के शिंदे गुट में जाने से उनकी उद्धव ठाकरे की मुश्किलें इस इलाके में बढ़ना तय माना जा रहा है। बीएमसी चुनाव में गजानन कीर्तिकर का फायदा बीजेपी को अच्छे खासे ढंग से मिल सकता है। कहने को तो कीर्तिकर रहेंगे एकनाथ शिंदे के साथ लेकिन फायदा सीधे बीजेपी को होगा।

खुश क्यों बीजेपी?

गजानन कीर्तिकर ने भले ही उद्धव ठाकरे को छोड़ एकनाथ शिंदे का हाथ पकड़ लिया हो लेकिन इसमें सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी का ही है। कुछ दिनों पहले राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने कुछ साल पहले जो गद्दारी की थी। उसकी सजा तो उन्हें मिलनी ही चाहिए थी। फडणवीस के इस बयान से यह साफ हो गया था कि वह शिवसेना को बख्शने के मूड में नहीं हैं। फडणवीस ने कुछ दिनों पहले यह भी कहा था कि मेरे ही कहने पर बच्चू कडू गुवाहाटी गए थे और एकनाथ शिंदे गुट को समर्थन दिया था। फडणवीस के इस कथन से यह साफ हो गया है कि बीजेपी ने सोची-समझी रणनीति के तहत उद्धव ठाकरे की शिवसेना में फूट डलवाई। बीजेपी का अब अगला टारगेट देश की सबसे अमीर महानगरपालिका बीएमसी के चुनाव हैं। जिसमें उन्हें किसी भी कीमत पर उद्धव ठाकरे गुट को बीएमसी की सत्ता से उखाड़ फेंकना है। ऐसे में जितनी ज्यादा संख्या में वह ठाकरे को कमजोर करेंगे उसका सीधा फायदा उन्हें बीएमसी चुनाव में होगा। इसीलिए भले ही शिंदे के भले ही गजानन कीर्तिकर शिंदे के साथ गए हो लेकिन इसका सीधा लाभ बीजेपी को होने वाला है।


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