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भाेपाल। वर्तमान समय में पूर्वी विदर्भ और उसके आस-पड़ोस के ऊपर बना निम्न दबाव का क्षेत्र अब उत्तर-पूर्व विदर्भ और पड़ोस और संबंधित चक्रवाती परिसंचरण तक फैल गया है और धीरे-धीरे दक्षिण-पश्चिम की ओर झुक रहा है। वहीं मानसून द्रोणिका अब जैसलमेर, कोटा, गुना से होते हुए पूर्वोत्तर विदर्भ के ऊपर बने कम दबाव वाले क्षेत्र से गुजरते हुए दक्षिण-पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी तक फैली हुई है। इसकी समुद्र तल से औसत ऊंचाई 1.5 किमी है।
इन मौसम प्रणालियों की वजह से लगातार नमी आ रही है और प्रदेश में अच्छी वर्षा हो रही है। वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डा. ममता यादव के अनुसार बंगाल की खाड़ी में एक ऊपरी हवा का परिसंचरण बनता नजर आ रहा है। इसकी वजह से प्रदेश के पूर्वी हिस्सों रीवा, शहडोल के इलाकों में अगले 48 घंटे में गरज-चमक के साथ अच्छी वर्षा होने की संभावना है। 21 जुलाई से यहां भारी वर्षा का दौर शुरू होगा, जो लगभग एक हफ्ते तक जारी रहने के आसार हैं। इस तरह पूर्वी मध्यप्रदेश के जो जिले अच्छी वर्षा के लिए अभी तक तरस रहे थे, उनकी शिकायत दूर हो जाएगी। विभाग द्वारा पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में येलो व कुछ में आरेंज अलर्ट भी जारी किया जा सकता है।
खंडवा में नौ घंटे में हुई ढाई इंच वर्षा
मौसम विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक खंडवा में 2.36 इंच, खरगोन में 1.4 इंच, धार में 1.3 इंच, उज्जैन में 1.1 इंच, इंदौर में एक इंच वर्षा दर्ज की गई है। वहीं रतलाम में 25, छिंदवाड़ा में 8, भोपाल में 5.6, बैतूल व सिवनी में 5, जबलपुर में 0.1 मिमी वर्षा दर्ज की गई।मौसम विज्ञानी विवेक पांडे के अनुसार 19 जुलाई को नर्मदापुरम संभाग के जिलों में अति भारी वर्षा हो सकतीहै।
वहीं भोपाल एवं उज्जैन संभागों के जिलों में तथा बुरहानपुर, खंडवा, खरगौन, धार, इंदौर, गुना, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, सागर जिलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा के आसार हैं।इसके साथ ही इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, भोपाल, सागर, जबलपुर, चंबल एवं ग्वालियर संभागों के जिलों में गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की संभावना है।
सामान्य से दोगुनी वर्षा हो गई
मौसम विज्ञानी डा. वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि एक जून से लेकर 18 जुलाई तक पूरे प्रदेश में 702.4 मिमी वर्षा हुई है, जो सामान्य से 356.1 मिमी अधिक है, यानी वर्तमान में सामान्य से दोगुनी वर्षा हो चुकी है।हालांकि पूर्वी मध्य प्रदेश में औसत से एक प्रतिशत कम और पश्चिमी मध्य प्रदेश में औसत से 42 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। सिर्फ जून महीने की बात करें, तो एक जून से 30 जून तक प्रदेश में सिर्फ 69.4 मिमी वर्षा हुई थी, जो सामान्य से -77.8 मिमी कम थी। इसका अर्थ है कि 633 मिमी वर्षा जुलाई के मात्र 18 दिनों में ही हुई है।