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Update: 2022-08-27 16:31 GMT
उज्जैन। शनिश्चरी अमावस्या पर शनिवार को शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर पर्व स्नान हुआ। देशभर से आए 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने फव्वारों में स्नान कर घाट के समीप स्थित प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में भगवान शनिदेव के दर्शन तथा तेलाभिषेक किया। उज्जैन के अन्य शनि मंदिरों में भी भगवान शनिदेव के दर्शन पूजन के लिए भक्त उमड़े। अमावस्या पर पर्व स्नान के लिए दूरदराज से श्रद्धालु शुक्रवार रात से त्रिवेणी पहुंचना शुरू हो गए थे। श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन करते हुए रात गुजारी। शनिवार को अलसुबह से स्नान का सिलसिला शुरू हुआ। प्रशासन ने महिलाओं के स्नान के लिए घाट पर फव्वारे लगाए थे।
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वहीं पुरुषों के स्नान के लिए मंदिर के समीप उद्यान में व्यवस्था की गई थी। बारिश के कारण इन दिनों शिप्रा का जल स्तर बढ़ा हुआ है, इसलिए श्रद्धालुओं को शिप्रा में स्नान नहीं करने दिया गया। स्नान के बाद भक्तों ने शनिदेव के दर्शन किए। मान्यता है शनिश्चरी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में स्नान तथा शनिदेव के दर्शन करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है। स्नान स्थल पर कीचड़ होने से श्रद्धालुओं को परेशानी भी हुई। फिसलन होने से बुजुर्ग लोगों को स्वजन ने सहारा देकर निकाला। शनिश्चरी अमावस्या पर श्री नवग्रह शनि मंदिर में विराजित भगवान शनिदेव का पुजारियों ने आकर्षक श्रृंगार किया। शनिवार शाम 7 बजे शनिदेव की महाआरती की गई।
ट्रेन व बसों में भारी भीड़
अवावस्या पर आसपास के शहरों से उज्जैन आने वाली ट्रेनों तथा बसों में यात्रियों की खासी भीड़ रही। रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर जनदबाव बना हुआ था। भीड़ के कारण ट्रेन में जगह पाने के लिए कुछ लोग पटरी पर खड़े हो गए। ऐसे में किसी भी प्रकार का हादसा हो सकता था।
जूते, चप्पल व कपड़े के रूप में छोड़ी पनौती
पर्व स्नान करने आने वाले श्रद्धालु संगम स्नान के उपरांत घाट पर जूते-चप्पल तथा कपड़ों के रूप में पनौती छोड़ते हैं। मान्यता है ऐसा करने से अला बला दूर होती है तथा शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। प्रशासन द्वारा छोड़े गए जूते, चप्पल तथा कपड़ों को नीलामी के माध्यम से विक्रय किया जाएगा।
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