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Update: 2022-08-06 16:42 GMT

ग्वालियर। शहर के विकास को दिशा व गति देने के लिए नवनिर्वाचित महापौर डा. शोभा सिकरवार ने 21 सदस्यीय गैर सरकारी सलाहकार समिति का गठन करेंगी। इस समिति में व्यापारिक व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि व प्रबुद्धजन सहित नगर निगम के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। यह समिति तय करेगी कि कौन से विकास कार्य प्राथमिकता के आधार पर किए जाएं। महापौर ने सामांजस्य के साथ नगर सरकार चलाने का यह नया फार्मूला निकाला है।

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नगर निगम परिषद के इतिहास में यह पहला मौका है, जब महापौर कांग्रेस का है और 34 पार्षदों के साथ-साथ सभापति व नेता प्रतिपक्ष भी भाजपा का है। इस विषम परिस्थिति में महापौर के सामने परिषद को चलाने और वादों को पूरा करने की बड़ी चुनौती है। निगम से जुड़े विशेषज्ञ भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि परिषद में पूर्ण बहुमत के साथ सभापति व विपक्ष का नेता भाजपा का होने के कारण प्रस्तावों पर सैंद्धातिक निर्णय लेने में कांग्रेसी महापौर को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। चूंकि प्रदेश में सरकार भी भाजपा की सरकार है, इसलिए नई नगर सरकार को ज्यादा मदद मिलने की उम्मीद नहीं है। इन विषम परिस्थितियों के बीच महापौर द्वारा 21 सदस्यीय सलाहकार समिति बनाने की पहल परिषद चलाने और विकास कार्यों को गति देने में कारगर सबित हो सकती है।

शहर में विकास कार्यों के कोई मापदंड तय नहींः वर्तमान में नगर के विकास की कोई दिशा व रूपदेखा तय नहीं है। स्थिति यह है कि सड़कों पर सीमेंटेड या डामरीकरण पहले कर दिया जाता है, इसके बाद सड़कें खोदकर सीवर व पानी की लाइन डाली जाती हैं। क्षेत्र के रहवासियों को सूचित नहीं किया जाता है कि सड़क का निर्माण शुरू होने वाला है, इससे पहले अपनी सीवर व पानी की लाइन सही कराना है तो करा लें। इस कारण नवनिर्मित सड़क पर महीने व पंद्रह दिन में खुदाई शुरू हो जाती हैं। बाजारों में कोई अफसर फुटपाथ बनवा जाते हैं तो दूसरे अफसर अपने कार्यकाल में उसे गलत बताकर उखड़वा देते हैं। यही स्थिति चौराहे की रोटरी व साैंदर्यीकरण की है। इन दिशाहीन कार्यों के कारण जनता के धन का दुरुपयोग होता है।
नगर सरकार को सुझाव देगी सलाह समिति: महापौर डा. शाेभा सिकरवार का कहना है जल्द ही गठित होने वाली 21 सदस्यीय सलाहकार समिति की प्रतिमाह बैठक होगी। यह शहर के विकास को गति देने के लिए सुझाव देगी। समिति सर्वसम्मति से तय कर बताएगी कि कहां पहले सड़क निर्माण होना है। किस वार्ड में पानी-सीवर की समस्या है और उसका निदान कैसे किया जाए। इस समिति में निगम से जुड़े विशेषज्ञों के अलावा व्यापारी व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, इंजीनियर, सेवानिवृत्त अधिकारी व प्रबुद्धजन को शामिल किया जाएगा। हम लोग भी इंदौर व भोपाल की तरह शहर के विकास के लिए चिंतन-मनन कर दिशा दे सकें।
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