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Update: 2022-06-26 16:32 GMT

सीहोर। जिले के कई इलाकों में बीते दिनों वर्षा हो चुकी है, लेकिन अभी वैसी वर्षा नहीं हुई जैसी लोगों को उम्मीद थी। जिले के विभिन्ना क्षेत्रों में बीते तीन दिनों से बूंदाबांदी और हल्की वर्षा देखी गई है। हल्की बूंदाबांदी के कारण उमस बढ़ने की वजह से कई क्षेत्रों के लोग बेहद परेशान हो रहे हैं। जिले भर में दिन के समय उमस के चलते शहर वासियों को तीखी गर्मी का सामना भी करना पड़ा।

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यही हाल अभी प्रदेश के कई इलाकों का है क्योंकि जब तक मानसून पूरी तरह से सक्रिय होकर वर्षा नहीं करेगा। तब तक तापमान में गिरावट नहीं होगी। प्रदेश के निवासी लगातार मानसून की सक्रियता और बारिश का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि मानसून के पूरी तरह सक्रिय न होने का असर फसलों और भूमि पर भी पड़ रहा है। फिलहाल जिले में अधिकतम तापमान 37 डिग्री है और वहीं न्यूनतम तामपमान 25 डिग्री के आसपास है।

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मौसम विशेषज्ञ एमएस तोमर ने बताया कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में किसी प्रभावी मौसम प्रणाली के सक्रिय नहीं रहने से चार दिन से प्रदेश में मानसून आगे नहीं बढ़ रहा है। इस वजह से वर्षा में कुछ कमी आने से तापमान भी बढ़ने लगा है। इस सप्ताह से प्रदेश के कुछ जिलों में वर्षा का सिलसिला शुरू हो जाएगा, हालांकि तापमान बढ़ने से कहीं-कहीं गरज चमक के साथ हल्की बौछारें रहेंगी।

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मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में हवा के ऊपरी भाग में एक अपतटीय द्वोणिका के रूप में बना है। इस चक्रवात को लेकर पूर्वी मध्य प्रदेश से होकर एक ट्रफ फीट लाइन बनी हुई है। इस मौसम प्रणाली के असर से कुछ नमी आने के कारण राजधानी सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों में गरज चमक के साथ वर्षा हो रही है।

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बोवनी लायक नहीं हुई वर्षा

वहीं किसानों का इंतजार भी अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। जो बोवनी लायक वर्षा के बाद खेतों में बोवनी के कार्य में जुटने लगे हैं। वहीं तेज गर्मी और उमस से परेशान लोगों के लिए भी वर्षा होने से मौसम में ठंडक देखने को मिली। रविवार को सुबह से ही जिस प्रकार से गर्मी और उमस हो रही थी। उसको देखकर लोग वर्षा होने की उम्मीद कर रहे थे।
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वहीं दूसरी और किसान इस प्रकार की लगातार वर्षा होने पर अपनी सोयाबीन की फसल की बुआई की तैयारी में हैं। क्योंकि उनके द्वारा खेत तैयार करके छोड़ दिए गए हैं। वहीं कृषि विभाग द्वारा किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे अपनी सोयाबीन की फसल को पहले एक बार बीज उपचारित कर लें उसके बाद ही बुआई कार्य करें। जिससे किसानों को दोबारा बोवनी की स्थिति नहीं बनेगी।
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