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मंदसौर। शहर में इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट को लेकर शुक्रवार रात में कुछ देर हलचल हुई थी। कोतवाली पर एकत्र होकर मुस्लिम समाज के लोगों ने इसका विरोध जताया था। इसके बाद पुलिस ने एक आइडी के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज कर लिया है। प्रारंभिक जानकारी यह मिली थी कि आइडी उप्र तरफ के किसी व्यक्ति की है। इधर देश में पहले ही कई जगह पर मुस्लिम समाज के लोग नुपूर शर्मा के बयान के विरोध में सड़कों पर उतर रहे हैं। इसे देखते हुए शनिवार को सुबह से जिला प्रशासन व पुलिस अलर्ट मोड पर रही। मंदसौर में शांति समिति की बैठक बुलाकर कलेक्टसर-एसपी ने कहा कि शांति व्यवस्था प्रभावित करने वाली पोस्ट पर सीधे जेल भेजने की कार्रवाई करेंगे।
इंस्टाग्राम पर मुस्लिम समाज के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट डालने को लेकर शुक्रवार रात में समाज के लोग शहर कोतवाली पर विरोध जताने व एफआइआर दर्ज करने की मांग को लेकर पहुंचे थे। इसके बाद टीआइ अमित सोनी ने सभी को समझाइश देकर रवाना कर दिया था। वहीं विवादित पोस्ट करने वाले की आइडी पर प्रकरण भी दर्ज किया गया है। इसमें अब पुलिस जांच कर रही है कि आइडी असली है या किसी ने फेक नाम से तो आइडी नहीं बना रखी हैं। प्रारंभिक जानकारी में आइडी उप्र से संचालित बताई जा रही हैं।
शनिवार सुबह कंट्रोल रूम में हुई बैठक में कलेक्टंर गौतमसिंह व एसपी अनुराग सुजानिया ने बताया कि जिले में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए सभी प्रयास करें। किसी भी तरह की आपत्तिजनक, भड़काऊ पोस्ट इंटरनेट मीडिया या किसी भी प्लेटफार्म पर वायरल नहीं करें। शांति व्यवस्था को प्रभावित करने वाली पोस्ट डालने पर सख्त कार्रवाई होगी। जिले में शांति व्यवस्था कायम है। सभी शांति व्यवस्था को बनाए रखने में सहयोग करें। बैठक में अधिकारियों ने कहा कि जिले में इंटरनेट मीडिया पर धारा 144 के प्रावधान लागू हैं। फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम, मेसेंजर, इंटरनेट मीडिया एप या फोन काल पर भ्रामक, भड़काऊ, अश्लील और अवैधानिक संदेशों के प्रसारण से सुरक्षित और सतर्क रहें।
एसपी अनुराग सुजानिया ने वीडियो संदेश जारी कर जनता से कहा है कि देश के कई स्थानों पर हो रहे धार्मिक उपद्रव को दृष्टिगत रखते हुए सभी इंटरनेट मीडिया के दुरुपयोग से बचे। अपनों को भी बचाए। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से किसी भी प्रकार का आपत्तिजनक संदेश का आदान-प्रदान करना साझा करना अवैधानिक है। आइटी एक्ट 2000 के तहत अपराध है जिसमें तीन वर्ष से लेकर 10 वर्षों तक की सजा का प्रावधान है। अपने मनोरंजन या अज्ञानता में किसी भी प्रकार के संदेश जो कि किसी जाति, धर्म, समुदाय से संबंधित हो उसका प्रचार-प्रसार नहीं करें।