मालूम हो कि जिले की आधी आबादी की पानी की जरूरत बीते चार दशकों से भूमिगत जल से ही पूरी हो रही है। इस अवधि में खेती की भी बोरवेल के पानी पर निर्भरता बढ़ी है। जल संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार ने बीते कुछ वर्षों में अच्छी योजनाएं जरूर बनाई, मगर उनका ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो सका। मौसम चक्र गड़बड़ाने से भी धरती का कलश सूखता चला गया। अभी यह स्थिति है कि शिप्रा नदी तकरीबन आधे हिस्से में सूखी पड़ी है।
52 में से 40 तालाब पूरी तरह सूख गए हैं। अरनिया बहादुर, उंडासा और साहिबखेड़ी में थोड़ा बहुत पानी है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) द्वारा 8747 बोरिंग में से 640 बंद हो गए हैं। 15 गांव में नल जल योजना ठप्प पड़ गई है। लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। उज्जैन शहर में देवास रोड, इंदौररोड से जुड़ी कई कालोनियों के रहवासी बीते डेढ़ माह से निजी तौर पर टेंकर से पानी खरीदकर अपनी जरूरत पूरी कर रहे हैं।
जल संकट से निवारण के लिए 62 गांव में हैंडपंप खनन कराए
जल संकट निवारण के लिए मई माह में 62 हैंडपंप ग्रामीण लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने कराए हैं। ये लक्ष्य 100 से काफी कम है। विभाग का कहना है कि जून में तकरीबन 20 हैंडपंप जरूरमंद गांवों में कराने की तैयारी है। मशीन अभी भी चल रही है।
गंभीर में अब 524 एमसीएफटी पानी
शहर में जलापूर्ती के मुख्य केंद्र गंभीर बांध में अब सिर्फ 524 मिलियन क्यूबिक फीट (एमसीएफटी) पानी है। इतना कि 8 एमसीएफटी प्रतिदिन खपत के हिसाब से अगले 53 दिन शहर में सप्लाई किया जा सकता है।
चार माह में इस रफ्तार से गिरा जल स्तर
जिला फरवरी मार्च अप्रैल मई
उज्जैन 10.74 11.12 14.15 15.58
(स्रोतः जानकारी भूजल सर्वेक्षण विकास। आंकड़े मीटर में।)
विकासखंडवार जानिये तीन वर्षों की भूमिगत पानी की स्थिति
विकासखंड मई-2020 मई 2021 मई 2022
बड़नगर 14.25 12.72 16.65
उज्जैन 12.57 12.61 15.00
घट्टिया 13.02 12.25 15.50
महिदपुर 12.00 11.20 15.75
खाचरौद 12.48 12.46 15.76
तराना 12.66 12.23 14.80
कुल 12.83 12.25 15.58
(स्रोतः जानकारी भूजल सर्वेक्षण विकास। आंकड़े मीटर में।)