Ujjain : शहर तीन दिन में डेंगू के सात पॉजीटिव मरीज मिले, जारी किया अलर्ट
Ujjain उज्जैन: शहर में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन दिनों में डेंगू के सात नए मरीज सामने आए हैं। मलेरिया विभाग ने अलर्ट जारी किया है और लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों के बाहर और भीतर पानी जमा न होने दें। पिछले तीन दिनों में कुल सात मरीजों के डेंगू पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। जिला अस्पताल में डेंगू के साथ-साथ अन्य सर्दी-जुकाम और साधारण बुखार के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। आगामी दिनों में स्वास्थ्य के प्रति और अधिक सजग रहने की आवश्यकता होगी।
मलेरिया विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 27 अगस्त को 6 संदिग्ध मरीजों की जांच चरक स्थित लैब में की गई थी, जिसमें 2 मरीज डेंगू पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद 28 अगस्त को चरक स्थित लैब में 29 मरीजों के नमूने जांच के लिए भेजे गए, जिसमें 5 मरीज डेंगू पॉजिटिव पाए गए हैं। जिला मलेरिया अधिकारी आर.एस. जाटव ने बताया कि इस समय मलेरिया और डेंगू का बुखार फैल रहा है, खासकर बारिश के कारण पानी जमा होने से एडीज मच्छर पनपते हैं। उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए साफ पानी में लार्वा न पनपने दें। मलेरिया विभाग पूरे शहर में सर्वे कर लार्वा को खत्म करने में जुटा हुआ है।
लोग डेंगू के लार्वा और मच्छर पनपने से रोकने के लिए साफ पानी जमा न होने दें। ड्रम में स्टोर किए गए पानी में भी लार्वा पनप सकते हैं। यदि कहीं पानी में लार्वा दिखे तो तुरंत मलेरिया विभाग को सूचित करें। बचाव के लिए कूलर का पानी रोजाना बदलें। पक्षियों के पीने के पानी के पात्रों में भी पानी रोजाना बदलें। इसके अलावा, अपने घरों की नालियों में जला हुआ ऑयल और केरोसिन डालकर लार्वा को खत्म किया जा सकता है।
मलेरिया विभाग में स्टाफ की कमी
मलेरिया विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। साल 1998 तक विभाग में 156 फील्ड वर्कर थे, लेकिन अब पूरे जिले में केवल 60 लोगों का स्टाफ बचा है। पिछले 15 वर्षों से मलेरिया विभाग में कोई नई भर्ती नहीं हुई है। उज्जैन एंटी लार्वा यूनिट में 78 पद स्वीकृत हैं, जबकि वर्तमान में केवल 26 फील्ड वर्कर काम कर रहे हैं। जिला मलेरिया अधिकारी का पद भी रिक्त पड़ा है। जिला मलेरिया अधिकारी अविनाश शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद से दो साल से शाजापुर जिला मलेरिया अधिकारी को उज्जैन जिला मलेरिया अधिकारी के पद पर अतिरिक्त प्रभार देकर पदस्थ किया गया है। वे शाजापुर से सप्ताह में दो या तीन बार उज्जैन आते हैं, जिसके कारण मलेरिया विभाग पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है, और लोग मलेरिया और डेंगू की चपेट में आ रहे हैं।