उज्जैन: खगोल शास्त्र कहता है कि सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण आम घटना है, लेकिन भारत में इसे धर्म और ज्योतिष से जोड़कर देखा जाता है। सामान्यतः एक वर्ष में तीन से चार बार सूर्य और चंद्र ग्रहण पड़ते हैं। इस बार 15 दिन के अंदर वर्ष 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल और दूसरा चंद्र ग्रहण पांच मई को पड़ेगा।
जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्ता और ज्योतिषाचार्य पं. हरिहर पंड्या से इस बारे में 'हिन्दुस्थान समाचार' ने बात की। इस चर्चा में साफ हुआ कि सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए यहां इसका किसी भी तरह का नियम जैसे सूतक आदि मान्य नहीं रहेगा। सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल की सुबह 07ः05 से शुरू होकर दोपहर 12ः29 बजे समाप्त होगा। ये ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया आदि देशों में दिखाई देगा। भारतीय पंचांग के अनुसार, इस दिन वैशाख मास की अमावस्या तिथि रहेगी।
डॉ. गुप्ता का कहना है कि सूर्य ग्रहण तीन अलग-अलग रूप में देखने को मिलेगा। इसलिए इसे हाइब्रिड सूर्यग्रहण कहा जाएगा। सामान्य भाषा में इसे संकर सूर्य ग्रहण कहा जा सकता है। पिछला हाइब्रिड सूर्यग्रहण नौ वर्ष पहले तीन नवंबर, 2013 को देखा गया था। इस तरह का अगला सूर्यग्रहण 15 नवंबर, 2031 को होगा। अर्थात आज से आठ वर्ष बाद।
ज्योतिषाचार्य पंड्या ने बताया कि पांच मई के चंद्र ग्रहण को भी भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह रात 08ः45 बजे से शुरू होकर देररात एक बजे समाप्त होगा। 15 दिन में दो ग्रहण का पड़ना ठीक नहीं माना जाता। ऐसी स्थिति में प्राय: पृृृृथ्वी पर प्राकृतिक प्रकोप की संभावना प्रबल हो जाती है ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहणकाल अविध में आसपास की हर चीज प्रभावित होती है। इसलिए इस दौरान कुछ काम करने से बचना चाहिए। भारत में इसका सीधा असर नहीं रहेगा, लेकिन जहां भी इसका असर पड़ेगा, वहां की गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसी महिलाएं ग्रहण के समय किसी भी धारदार चीज का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है।
उन्होंने बताया कि ग्रहण और सूतकाल के दौरान न तो नाखून काटना चाहिए और न कंघी करना चाहिए। इस समय न तो सोना चाहिए और पका भोजन खाना चाहिए। काटने-छीलने का काम नहीं करना चाहिए। साथ ही सूई में धागा भी डालने की मनाही की गई है। ग्रहण के समय यात्रा करने से भी बचना चाहिए। कोई भी नया काम शुरू करने से परहेज करना चाहिए ।