इंदौर न्यूज़: ज्यादातर लोग जब नदियों व तालाबों में पानी की चिंता करते हैं तो वे उसके प्रदूषण रोकने व सफाई को लेकर प्रयास करते हैं. लेकिन कोटा के एक डॉक्टर इनसे कुछ अलग सोचते हैं. पेशे से नेत्र चिकित्सक डॉ. सुधीर गुप्ता बताते हैं कि चम्बल नदी को लेकर हमारी कोशिशें वर्ष 2012 से चल रही हैं.
हमारी सोच इसमें थोड़ी अलग है. ज्यादातर नदियों में विशेषतौर से पिछले पचास-साठ सालों में प्रवाह की कमी आई है. यह एक अलग तरह का इश्यू था. यह लोगों की नजरों से दूर था. हाल ही एक रिपोर्ट आई है कि चीन में इस तरह का महसूस किया जा रहा है कि प्रवाह कम होने से पीने के पानी की ही कमी नहीं होगी, बल्कि ऊर्जा की भी दिक्कत होगी. इसका कारण है कि पनबिजली घर पर संकट पैदा होंगे. गुप्ता बताते हैं कि नदियों में पानी के दो स्त्रोत हैं. पहला बरसाती, दूसरा अंदर की जलधाराओं का पानी. जो भूजल होता है. चम्बल के बारे में सोचा कि नदी किनारे प्लांटस लगाए जाएं. प्लांटस नदी के अंदर ऐसे वॉल्व बनाते हैं जिससे कि पानी संरक्षित रहता है और वह पानी आसपास के नलकूपों को भी चार्ज करते हैं. तो हमने नदी के किनारे काफी संख्या में पेड़ लगाए हैं. इसके अलावा हर को कोटा शहर में चम्बल नदी के पास एक जगह पर सफाई करना शुरू किया. वहां शहर के लोगों को जोड़ना शुरू किया. कोटा में एक माहौल बना दिया. चम्बल को बचाना है. अंतिम संस्कार के समय एक कट्टा राख चम्बल में डाली जाती थी. इसे रोकने के प्रयास किए. नदी के किनारों पर जो लकड़ी जलाकर अंतिम संस्कार होता था, उसे रोका. सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से नदी किनारे बड़े कचरा पात्र रखवाए. बड़े प्रयास के तहत अनंत चतुर्दशी पर जो हजारों मूर्तियां चम्बल नदी में डाली जाती थी. उसे रोका. मूर्ति विसर्जन के दौरान हम नदी किनारे तैनात रहते हैं. उम्मीद है कि इस साल नहीं के बराबर मूर्ति विसर्जन हो. कोटा के बाद यही प्रयास केशोरायपाटन में भी किया. यहां लोगों को जागरूक किया.
गुप्ता बताते हैं कि नदियों में पानी के प्रवाह को रोका जा रहा है. नदियों के अंदर मिलने वाली छोटी नदियां अब मिटती जा रही हैं, उनको जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए राजस्थान के बूंदी जिले की चन्द्रभागा नदी को जोड़ा है. जो लगभग मरणासन्न है. अब इस नदी पर काम हो रहा है. नदी पर एक बांध बना है. वहां पानी नहीं ठहर रहा है. वहां काली मिट्टी डालने के प्रयास कर रहे हैं. निकट के एक गांव के छह नाले आकर नदी में मिल रहे हैं. वहां एक एसटीपी लगाने का प्रयास जारी है.