भोपाल: शहर का एक मैदान, पांच से अधिक युवा रोज चार घंटे तक पसीना बहा कर सेना में भर्ती होने का अभ्यास कर रहे हैं। मुंह अंधेरे चार बजे से ही युवाओं के यहां पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता। इसके साथ ही शुरू हो जाती है वार्म होने, पुश अप, लंबी कूद, बीम निकालने और दौडऩे की कवायद। पौ फटने के बाद जैसे ही सूर्योदय होने लगता है, धूप बढऩे लगती है, आठ बजे के आसपास युवाओं की टोलियां अपने घरों की ओर निकल जाती हैं। हजीरा स्थित इंटक मैदान में यह रोज का नजारा है।देश सेवा में सर्वाधिक सैनिक देने वाले जिलों में खास पहचान रखने वाले ग्वालियर चंबल अंचल के युवाओं में सेना में जाकर देश सेवा करने का जज्बा गजब का है। सेना में जाना आज भी यहां के युवाओं की पहली प्राथमिकता है। भले ही इस ग्वालियर चंबल अंचल ने देश के शहीदों की सूची में भी सबसे ऊपर अपना नाम लिखवा रखा है, यहां के 300 से ज्यादा जवानों ने शहादत दी है, फिर भी यहां के युवा अध्यापक, नर्स, या पटवारी बनने के बारे में बाद में सोचते हैं, सेना में भर्ती होने की कोशिश पहले करते हैं। यहां 50 से करीब 300 तक युवा ग्रुप में दौड़ लगाते हैं। इससे उन्हें यहां वो माहौल मिलता है जो सेना भर्ती के मैदान पर होता है। युवा दौड़, बीम कूद का लक्ष्य पूरा कर रहे हैं। रोज सुबह तीन बजे ही उठ जाते हैं अधिकांश युवा मैदान पर चार बजे पहुंचने के लिए युवा सुबह तीन बजे ही उठ जाते हैं। उन्हें पता है कि सेना में भर्ती होने के बाद 24 घंटे सजग रहना पड़ता है। मैदान में युवाओं का उत्साह देखते ही बनता है और अनुशासन भी इतना कि लगे किसी सेना के प्रशिक्षण केंद्र में तो नहीं गए। हर युवा मैदान पर समय से पहुंचता है। जो युवा किसी किसी खेल में भी परफेक्ट होना चाहते हैं वे यहां खेल का भी अभ्यास करते हैं।
बढ़ती जा रही है संख्या: पांच साल पहले तक यहां सौ-दो सौ युवा आया करते थे। लेकिन अब संख्या अब पांच सौ को पार कर गई है।रोचक बात ये है कि ये भी युवा सुबह आते समय और आठ बजे लौटते समय मैदान के मैन गेट पर ठोक लगाते हैं, वे मैदान को ही मंदिर मानते हैं। ऐसे ही एक युवा इंद्राज ने कहा, कर्म ही पूजा है और जो आपके लक्ष्य को पूरा करने में भूमिका निभाएं वो ही भगवान है। इसलिए हम मैदान को भगवान मान कर मैन गेट पर ठोक लगाते हैं।
सेना में भर्ती के लिए प्रशिक्षण दे रहे अर्जुन सिंह
शहर के बिरला इंडस्ट्रीयल क्लब के अर्जुन सिंह सेना में भर्ती के लिए युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे है। युवाओं का भविष्य संवारने के लिए समय से पहले अपनी नौकरी छोड़ दी, इतना ही नहीं आज वह बिना शुल्क के लिए युवाओं को सेना में भर्ती के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं। अर्जुन सिंह पहले सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल थे। अर्जुन सिंह का मानना है कि युवा ही देश का भविष्य है और जब हमारा भविष्य अच्छा होगा तो देश का भविष्य स्वयं ही अच्छा हो सकेगा।
रोजाना सुबह 5 बजे से शुरू होता है युवाओं शारीरिक प्रशिक्षण: जेसीमील एवं मनोरंजनालय मैदान पर अलसुबह 5 बजे लगभग पांच सौ से ज्यादा युवा जिसमें लगभग 100 लड़कियां भी शामिल है, सेना भर्ती रैली की शारीरिक प्रशिक्षण तैयारी के लिए पहुंच रहे हैं। रोज सुबह शारीरिक व्यायाम के बाद लंबी कूद, दौड़, गोला फेंक और फुट जम्प के साथ आवश्यक गुण सीखाए जा रहे हैं। लगभग एक से डेढ़ घंटे की शारीरिक प्रशिक्षण तैयारी की जाती है।
कामख्या क्लब ने 10 हजार से अधिक युवाओं को दिया प्रशिक्षण: कामख्या क्लब के संजू परमार भी युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे है। उन्होनें बताया कि े21 साल से वह प्रशिक्षा दे रहे है। इस क्लब से कई युवा आज सीमा पर देश की सुरक्षा कर रहे है। वहीं कुछ युवाओं मप्र पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे है।
इन जगहों से ग्वालियर में आकर ले रहे ट्रेनिंग
-मुरैना
-भिंड
-गोरमी
-गोहद
-सिहोनिया
-कोथर
-हरीछे
-सांगोली
-बानमौर
-पोरसा