भोपाल न्यूज़: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में व्याख्यान हुआ. बतौर मुख्य वक्ता अध्यक्ष मध्य प्रदेश कौशल विकास और रोजगार निर्माण बोर्ड शैलेंद्र शर्मा उपस्थित थे. इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया और शिक्षाविद् डॉ. अमिताभ सक्सेना उपस्थित रहे.
इस मौके पर शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि भारत के नागरिकों में खासियत है कि हम कितने ही पढ़ लिख लें, पैसे वाले बन जाए या बड़े पदाधिकारी हो जाएं लेकिन कुछ ऐसी मूलभूत चीजें होती है जो भूलते नहीं. वो हमारे सबकॉन्शियस में ऐसी रजिस्टर होती हैं कि अनजाने में ही सही पर हमें हमारी मिट्टी से जोड़े रखती हैं. उदाहरण के तौर पर दिवाली पर पटाखे लेने जाते हैं और कोई गरीब दिया बेच रहा होता है तो हम स्वयं उसके पास जाकर दिया खरीदते हैं. यह कोई दया भाव नहीं है यह समाज में सब लोगों को एक साथ रहकर परस्पर सहयोग से जीवन जीने का भाव होता है. यह भारत की प्रकृति है, स्वभाव है. स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन भी इसी समाज को प्रेरित करता है.
उन्होंने कहा कि 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद का शिकागो का भाषण पूरी दुनिया को याद रखना चाहिए. यही एक गहरा अध्यात्म और मानवता का रास्ता है. कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया ने भी संबोधित किया. उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों और उनके व्यक्तित्व से विद्यार्थियों को रू-ब-रू कराया. वहीं, डॉ. अमिताभ सक्सेना ने विद्यार्थियों को बताया कि स्वामी विवेकानंद आखिर स्वामी विवेकानंद बने कैसे.
उन्होंने बताया कि राजस्थान में एक स्थान है खेतड़ी नगर. खेतड़ी नगर के राजा अजीत सिंह हुआ करते थे. स्वामी विवेकानंद एक समय उनके नगर में प्रवास पर गए. उनके प्रवास के दौरान राजा अजीत सिंह लंबे समय तक उनके सानिध्य में रहे. राजा ने उनसे प्रभावित होकर कहा कि आप बहुत विवेकशील हैं तो अब आपका नाम विवेकानंद होगा.