राजधानी में डेंगू मरिजो की संख्या 654 पहुंची

Update: 2023-07-06 15:47 GMT
भोपाल | मौसम में आ रहे बदलाव के चलते बारिश से अब मच्छर पनपने लगे हंै। मानसून आने के बाद अब इन मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों का डर भी बढ़ गया है। शहर में पिछले कई वर्षो से हाई रिस्क जोन बनाए गए है। इन हाई रिस्क वाले क्षेत्रों में भी डेंगू का लार्वा निकल रहा है। जिसमें साकेत नगर, इंद्रपुरी, कोलार, पिपलानी के साथ अवधपुरी आदि क्षेत्रों में लार्वा मिलने लगा है।
स्वास्थ्य विभाग शहर के कई क्षेत्रों में सर्वे कर रहा है। जनवरी से अभी तक एक लाख 98 हजार 730 घरों का सर्वे किया गया। जिसमें 1836 घरों में लार्वा मिला है। वहीं पिछले डेढ़ साल में अभी तक 64 लोग डेंगू के शिकार हुए हैं। जबकि जनवरी से लेकर अप्रैल तक संख्या 35 थी।
डेंगू से निपटने के लिए यह करें
फुल कपड़े पहनें। दिन में मच्छरदानी लगाएं।
कूलर, गमला, चिड़ियों के बर्तन टंकियों का पानी हर हफ्ते बदलें।
पानी के कंटेनरों में कीड़े की तरह तैरते हुए लार्वा दिखे तो उन्हें मारने के लिए सरसों का तेल डालें।
तेज बुखार के साथ सिरदर्द, शरीर में लाल चकत्ते या दांत से खून आ रहा हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
आराम करें। पानी या दूसरी तरल चीजें ज्यादा लें।
डेंगू होने पर एस्प्रिन दवा न लें।
अधिकारियों का कहना है कि मलेरिया को देखते हुए शहर में सर्वे किया जा रहा है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में कूलरों के पानी के साथ जमा पानी में लार्वा मिल रहा है। अब उन क्षेत्रों में ज्यादा फोकस कर रहे हैं जहां पिछले सालों ज्यादा मलेरिया के मामले निकले थे।
सिर दर्द के साथ तेज बुखार, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, उल्टी, शरीर में लाल चकत्ते या रेशे, दांतों से खून आना।
निजी अस्पताल रैपिड किट से जांच कर डेंगू पॉजिटिव की रिपोर्ट दे रहे। पुष्टि के लिए एलाइजा जांच नहीं करा रहे।
हमीदिया जैसे बड़े अस्पताल में भी डेंगू के लिए अलग से वार्ड नहीं बना है।
जेपी अस्पताल में सिर्फ 10 बेड का वार्ड है। मरीज बढ़ने पर उन्हें स्वाइन फ्लू वार्ड में भर्ती किया जाता है।
कई निजी अस्पताल मरीजों को मच्छरदानी नहीं देते। इलाज के लिए तय दिशा निर्देशों का पालन नहीं करते।
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