इंदौर न्यूज़: ऑर्थोप्लास्टी पर हो रही दो दिवसीय वर्कशॉप के पहले दिन सर्जन्स ने टोटल नी रिप्लेसमेंट पर प्रैक्टिस की. विशेषज्ञों ने टीकेआर के दौरान आने वाली परेशानियों और जटिलताओं को कैडेवर पर सिखाया. फीमर और टिबिया के इलाज से पहले बरती जाने वाली सावधानियां और इनके इलाज में आने वाली परेशानियां, सर्जरी के बाद घुटने का सही संतुलन, अलाइनमेंट, ट्रांसप्लांट के लिए विकल्प, क्रूसिएट रिटेंशन और पोस्टीरियर-स्टैबिलाइस्ड (पीएस) में अंतर, वाल्गस डिफॉर्मिटी करेक्शन, वरुस डिफॉर्मिटी करेक्शन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई.
श्री अरबिंदो मेडिकल कॉलेज एंड पीजी इंस्टीट्यूट में हो रही इस वर्कशॉप में इंडियान ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन, सेंट्रल जोन के सचिव और कोर्स के अध्यक्ष प्रो. प्रदीप चौधरी ने कहा कि टोटल नी रिप्लेसमेंट में घुटनों के जोड़ के साथ-साथ घुटनों के जोड़ को बनाने वाली हड्डियों के सिरों को ढकने के लिए मेटल और प्लास्टिक के हिस्सों का उपयोग किया जाता है.
डॉ. हेमंत मंडोवरा ने कहा कि शहर में नी ऑर्थोप्लास्टी पर यह पहली ऐसी वर्कशॉप है, जहां सर्जन्स को कैडेवर पर प्रैक्टिस करने का मौका मिल रहा है. प्रैक्टिस के दौरान सर्जन्स के सवालों का जवाब विशेषज्ञों ने सर्जिकल वीडियो डेमोंस्ट्रेशन, डाइबेटिक लेक्चर, केस स्टडी और केडेवेरिक हैंडज-ऑन से दिए. वर्कशॉप में डॉ. प्रदीप चौधरी, डॉ. मनीष श्रॉफ, डॉ. अरविंद रावल, डॉ. गुडारू जगदीश, डॉ. विनोद अरोड़ा, डॉ. प्रमोद नीमा, डॉ. बृजेश शाह, डॉ. सुनील राजन, डॉ. हेमंत मंडोवरा ने ट्रेनिंग दी.