नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज सरकार को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण दिए जाने का आदेश दिया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर शिवराज सरकार की ओर दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को बड़ा फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के ओबीसी आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसके बाद अब स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण मिल गया है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 10 मई को मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था. कोर्ट ने मध्य प्रदेश चुनाव आयोग को 24 मई से पहले निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने ये भी कहा था कि ओबीसी आरक्षण की शर्तों को पूरा किए बगैर पिछड़े वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जा सकता.
मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण दिए जाने के आधार संबंधी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी. इसमें ओबीसी को 35 फीसदी आरक्षण देने की अनुशंसा की गई है. एमपी में त्रिस्तरीय (ग्राम, जनपद और जिला) पंचायत और नगरीय निकाय (नगर परिषद, नगर पालिका और नगर निगम) में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए कोर्ट ने अध्ययन कराने के निर्देश दिए थे.
इसके बाद ही शिवराज सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठित किया था, जिसने मतदाता सूची का परीक्षण कराने के बाद दावा किया कि प्रदेश में 48 फीसदी मतदाता ओबीसी हैं. इस आधार पर रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी को 35% आरक्षण देने की सिफारिश वाली रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी, जिस पर फैसला आया है. ऐसे में शिवराज सरकार को बड़ी राहत मिली है. सूबे के शहरी निकाय चुनाव में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत के अध्यक्ष और पार्षदों में ओबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.