सीहोर : मध्य प्रदेश के सीहोर में विशेष न्यायाधीश डॉ. वैभव विकास शर्मा की अदालत ने दुष्कर्म के एक मामले में शेष प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास का फैसला सुनाया। शासन की ओर से पैरवीकर्ता विशेष लोक अभियोजक पंकज रघुवंशी के मुताबिक, फरियादी (पीड़िता) ने अपने पिता और अपने छोटे भाई के साथ थाने में आकर जुबानी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
रिपोर्ट में बताया गया था कि मैं 13 साल की हूं और कक्षा आठवीं तक पढ़ी हूं। मैं पापा-मम्मी के साथ बैतूल से बकतरा मजदूरी करने आई हूं। यहां बकतरा माता मंदिर के पास मैदान में झाड़ के नीचे डेरा डालकर रह रहे हैं।
रिपोर्ट में पीड़िता ने बताया कि दिनांक 20 अप्रैल 2022 की रात करीबन 10 बजे खाना खा-पीकर सभी लोग सो गए थे। रात के करीब 11.30 बजे मैं सो रही थी, तभी कोई मेरे ऊपर आकर लेट गया। मेरी अचानक से नींद खुली तो देखा कि हमारे साथ आया हुआ हमारे गांव का ही सीताराम बासुदेवा था। मैं घबरा गई और चिल्लाई तो पास ही सो रहे मेरे मम्मी-पापा उठ गए। इतने में ही सीताराम वहां से भाग गया और कहने लगा कि यह बात किसी को बताई तो जान से खत्म कर दूंगा। फिर पूछने पर मैंने सारी बात अपने मम्मी-पापा और दादी को बताई। उसके बाद थाने में रिपोर्ट लिखवाई। उक्त रिपोर्ट पर से थाना शाहगंज द्वारा अपराध दर्ज कर मामला जांच में लेने के बाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
इस मामले में अभियोजन अपना पक्ष युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित करने में सफल रहा। विशेष न्यायाधीश डॉ. वैभव विकास शर्मा बुदनी न्यायालय ने आरोपी सीताराम वासुदेवा पिता फूलसिंह वासुदेवा (26) निवासी बैतूल हाल बकतरा थाना शाहगंज को दोषी मानते हुए भादसं की धारा 376 व पॉक्सो एक्ट में शेष प्राकृतिक जीवन तक आजीवन कारावास और छह हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई।