मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में कम आय वाले टोल नाकों की जिम्मेदारी स्व-सहायता समूह की महिलाएं संभालेंगी। इन टोल नाकों पर होने वाली कुल आय में से 30 फीसदी राशि स्व-सहायता समूहों को दी जाएगी। यह निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया। आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि मंत्रिपरिषद ने महिला स्व-सहायता समूह द्वारा उपभोक्ता शुल्क संग्रहण के लिए नीति का अनुमोदन किया। मंत्रिपरिषद ने महिला स्व-सहायता समूह को अधिक सक्षम एवं उपभोक्ता शुल्क (टोल) संग्रहण में सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया। निर्णय के अनुसार पूर्व में उपभोक्ता शुल्क संग्रहण की स्वीकृति प्राप्त मार्गों में से दो करोड़ से कम वार्षिक संग्रहण आय वाले मार्गों पर उपभोक्ता शुल्क संग्रहण महिला स्व-सहायता समूह द्वारा किया जायेगा। ऐसे मार्ग के चयन के लिए मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम को अधिकृत किया गया है।
विधानसभा में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक ने प्रदेश के शासकीय सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए “मध्य प्रदेश क्षमता निर्माण नीति-2023’’ का अनुमोदन किया। राज्य की नवीन क्षमता निर्माण नीति-2023 भारत सरकार द्वारा लागू मिशन कर्मयोगी की अवधारणा एवं विशेषताओं को सम्मिलित करते हुए और क्षमता विकास आयोग के सदस्य से परामर्श प्राप्त करते हुए तैयार की गई है। इसमें प्रत्येक विभाग के बजट में वेतन मद में उपलब्ध बजट की एक प्रतिशत राशि से नया बजट शीर्ष “मिशन कर्मयोगी’’ बनाया जाएगा। साथ ही प्रशासन अकादमी के बजट में राशि 10 करोड़ रुपये से “मिशन कर्मयोगी’’ के नाम से नया बजट शीर्ष भी बनाया जाएगा।
भारत सरकार की राष्ट्रीय प्रशिक्षण नीति वर्ष 1996 के संदर्भ में राज्य की वर्तमान प्रशिक्षण नीति को 11 जुलाई 2001 को लागू किया गया था। भारत सरकार की वर्तमान राष्ट्रीय प्रशिक्षण नीति 19 जनवरी 2012 को लागू की गई, लेकिन राज्य की प्रशिक्षण नीति में अभी तक कोई परिवर्तन नहीं किया गया था। प्रदेश की वर्तमान प्रशिक्षण नीति लगभग 22 वर्ष पुरानी हो चुकी है, जबकि शासकीय सेवकों के भर्ती के तरीके, सूचना प्रौद्योगिकी का शासकीय कार्यों में उपयोग, विभिन्न कानूनों में परिवर्तन इत्यादि कारणों से नवीन प्रशिक्षण नीति की जरूरत महसूस की गई। राज्य की नई प्रशिक्षण नीति तैयार करने के लिए महानिदेशक, प्रशासन अकादमी द्वारा सेवानिवृत्त एवं अनुभवी प्रशासनिक एवं तकनीकी परामर्शी विशेषज्ञों से परामर्श लिया गया।
मंत्रिपरिषद ने जिला और जनपद पंचायत के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के मानदेय में वृद्धि करने का निर्णय लिया। जिला पंचायत अध्यक्ष के मानदेय एवं वाहन भत्ता को बढ़ाकर 1 लाख रूपये मासिक (मानदेय 35 हजार रुपये एवं वाहन भत्ता 65 हजार रुपये) और जिला पंचायत के उपाध्यक्ष के मानदेय एवं वाहन भत्ता को बढ़ाकर 42 हजार रुपये मासिक (मानदेय 28 हजार 500 रुपये एवं वाहन भत्ता 13 हजार 500 रुपये) किया जाएगा। साथ ही, जनपद पंचायत अध्यक्ष के मानदेय को बढ़ाकर 19 हजार 500 रुपये मासिक एवं जनपद पंचायत उपाध्यक्ष के मानदेय को बढ़ाकर 13 हजार 500 रुपये मासिक करने का निर्णय लिया गया।
इसके अलावा पंच/उप सरपंच का अधिकतम वार्षिक मानदेय 1800 रुपये किया जाएगा। अतिरिक्त वित्तीय भार की व्यवस्था “स्टाम्प शुल्क वसूली के अनुदान’’ मद में वार्षिक अतिरिक्त वित्तीय भार लगभग 56 करोड़ 38 लाख 24 हजार 800 रुपये को अतिरिक्त रूप से उपलब्ध कराये जाने का निर्णय भी लिया गया। मंत्रिपरिषद ने ग्राम रोजगार सहायक के भरे पद एवं रिक्त पदों की पूर्ति किए जाने पर 18 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से मानदेय के लिए आवश्यक अतिरिक्त वार्षिक राशि 274 करोड़ 95 लाख रुपये व्यय करने की अनुमति दी। यह राशि योजना क्रमांक 4610 स्टाम्प शुल्क वसूली या योजना क्रमांक 6299 गौण खनिज मद से व्यय की जाएगी।
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में आठ नवीन महाविद्यालयों की स्थापना, दो महाविद्यालयों में नवीन संकाय और तीन महाविद्यालयों में स्नातकोत्तर/स्नातक विषय प्रारंभ करने की मंजूरी दी है। इसके लिए कुल 489 नवीन पद सृजन, आवर्ती व्यय भार 26 करोड़ 97 लाख रुपये प्रतिवर्ष और अन्य अनावर्ती व्यय 95 करोड़ 68 लाख 92 हजार रुपये, इस प्रकार कुल 122 करोड़ 65 लाख 92 हजार रुपये के व्यय की स्वीकृति दी गई।