मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना उन पर कोई एहसान नहीं : उमा भारती
मध्य प्रदेश की फायर ब्रांड नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भाजपा के लोगों और मीडिया को सीख दी है
मध्य प्रदेश की फायर ब्रांड नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भाजपा के लोगों और मीडिया को सीख दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि द्रौपदी मुर्मू जी को NDA के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना उन पर कोई एहसान नहीं है, वे हर तरह से योग्य महिला हैं।
उमा भारती ने राष्ट्रपति उम्मीदवारी को जातिगत राजनीति से जोड़ने पर हिदायत देने वाले अंदाज में कहा है कि एनडीए के द्वारा भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुनी गई उम्मीदवार श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के बारे में मीडिया को एवं हमारे भाजपा के लोगों को भी यह ध्यान रखना होगा कि भारत का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया होता है। वह किसी जातीय दायरे में नहीं होता। इसलिए इसका राजनीतिक लाभ लेने की लालसा से वक्तव्य नहीं देना चाहिए।
उमा ने आगे कहा कि द्रौपदी मुर्मू जी को NDA के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना उन पर कोई एहसान नहीं है, वे हर तरह से योग्य महिला हैं। शैक्षणिक योग्यता, समाज सेवा का समदर्शी भाव एवं संयमित संस्कारित जीवन, मन, वचन एवं कर्म की संगति का जो सधा हुआ मेल है, भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए इसके अलावा और क्या चाहिए। इसलिए उनकी अपनी योग्यता ही इस पद की उम्मीदवारी के चयन का आधार है। मुर्मू आज की सामयिक, आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था की त्रिगुनाशक्ति हैं। उनके अंदर वह सब गुण विद्यमान हैं जो हमारे देश की शक्ति एवं विशेषता है। मैं द्रौपदी मुर्मू जी को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं देती हूं।
बता दें कि एक दिन पहले भी उमा भारती ने ट्वीट किए थे, जिसमें उन्होंने यशवंत सिन्हा को नाम वापस लेने तक को कहा था। उन्होंने कहा थी कि एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को भारत के राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है, यह हम सब के लिए गर्व एवं उपलब्धि है। उनके राष्ट्रपति बनने से देश के संविधान की गरिमा एवं हमारे देश का पूरे संसार में सम्मान बढ़ेगा। विपक्ष ने यशवंत सिन्हा जी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
यशवंत सिन्हा जी पहले भारतीय जनता पार्टी में थे तथा अटल जी की सरकार में मंत्री बनने से पहले वे भारतीय जनता पार्टी के थिंकटैंक का हिस्सा रहे। तब मैं भी उन बैठकों में भागीदारी करती थी। उस समय पर सिन्हा जी जो बोलते थे यदि वह उसमें विश्वास करते हैं और उसका पालन करते हैं तो उन्हें राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापस ले लेना चाहिए। उनकी एनडीए से नाराजगी हो सकती है किंतु जिन बातों पर हम यकीन करते हैं उसका पालन कहीं भी हो रहा हो तो हमें उस बात के खिलाफ खड़े नहीं होना चाहिए। अगर यही स्वतंत्र चेतना का अर्थ है तो मेरे बड़े भाई जैसे श्री यशवंत सिन्हा जी मेरे अनुरोध को स्वीकार करें।