भोपाल न्यूज़: राजधानी के बड़े तालाब सहित अन्य पेयजल आपूर्ति वाले जल स्रोतों में क्रूज के संचालन का क्या प्रभाव पड़ रहा है इसकी जांच अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम करेगी. एनजीटी ने इस संबंध में सीपीसीबी को विशेषज्ञों के साथ पूरी जांच कर रिपोर्ट देने के लिए निर्देश दिए हैं. इसके साथ पर्यटन विभाग को भी निर्देशित किया है कि क्रूज के संचालन में पर्यावरणीय नियमों और शासकीय आदेशों का पालन सुनिश्चित किया जाए. यदि उल्लंघन पाया जाता है तो विभाग इसके लिए उत्तरदायी होगा.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेंट्रल जोन बेंच ने डॉ सुभाष सी पांडे की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिए हैं. इसके पहले एनजीटी ने इस मामले में सभी संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था. इसके साथ एक संयुक्त समिति बनाकर जांच करने निर्देश दिए थे.
हाल ही में समिति ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष पेश की थी. इसमें बड़े तालाब सहित अन्य जलस्रोतों में क्रूज से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होने की बात कही गई थी. याचिकाकर्ता डॉ पांडे ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए स्वतंत्र रूप से सीपीसीबी से इसकी जांच कराने की मांग रखी थी. इसे एनजीटी ने स्वीकार करते हुए जांच सीपीसीबी को सौंप दी है. या चिका में बताया गया है कि भोपाल में वर्ष 2005 का मास्टर प्लान लागू है, इसमें जलस्रोतों के आसपास ग्रीन बेल्ट, जलग्रहण क्षेत्र, जल निकाय के चारों ओर क्षेत्रीय और वनस्पति उद्यान विकसित करने के स्पष्ट प्रावधान हैं. इसके बावजूद बिना अनुमति के तालाब में डीजल से चलने वाला क्रूज और अन्य मोटर बोट्स का संचालन किया जा रहा है. यह मास्टर प्लान के साथ अन्य पर्यावरण संबंधी कानूनों का सरासर उल्लंघन है. जलस्रोतों के आसपास अतिक्रमण, निर्माण और इस तरह की गतिविधियां बढ़ने से आसपास की बायोडायवर्सिटी प्रभावित होने के साथ जीवों के आवास खत्म हो रहे हैं. इसके साथ मानवीय स्वास्थ्य को भी खतरा बढ़ रहा है.