Motihari: जिले में 9413 एमटी धान की हुई खरीदारी

"सहकारिता व एसएफसी के असहयोगात्मक रवैया से प्रभावित खरीदारी हुई प्रभावित"

Update: 2025-01-03 06:20 GMT

मोतिहारी: जिले में धान खरीदारी की प्रक्रिया काफी लचर है. यहां पर 1340 किसानों से अबतक 9413 एमटी धान की खरीदारी विभिन्न समितियों के द्वारा किया गया है. लेकिन अभी तक कुछ भी सीएमआर नहीं मिला है और न ही चावल के लिए मिलर के द्वारा प्रक्रिया शुरू की गयी है. तक जिले में 264 पैक्स व छह व्यापार मंडल को खरीदारी के लिए अनुमति दी गयी है. इसके माध्यम से 83 किसानों ने अपना आवेदन जमा कराया गया है.

नवंबर से पहली फरवरी तक ऑनलाइन करना है,इसके आधार पर खरीदारी होगी. धान की खरीदारी 15 फरवरी तक होगी. इस साल किसानों को 2300 रूपए न्यूनतम समर्थन मूल्य रखा गया है. रैयती को 250 क्विंटल और बटाईदार को 100 क्विंटल धान बेचने की अनुमति दी गयी है. जिले में पैक्स व व्यापार मंडल में खरीदारी की प्रक्रिया सहकारिता व एसएफसी के कर्मी व अधिकारी के असहयोगात्मक रवैया के कारण प्रभावित हो रहा है.

मिल रही शिकायत के आलोक में जांच के निर्देश दिये हैं. उच्चाधिकारियों से भी इस संदर्भ में विमर्श किया जायेगा. - रमण कुमार सिंह, चेयरमैन, को ऑपरेटिव बैंक

विभाग ने 48 घंटे में किसानों को भुगतान का दिया आदेश

सीसी के लिए जिले की समितियों को ऑपरेटिव बैंक में एड़ियां रगड़ रहे हैं. दस दिनों की भागदौड़ के बाद भी उन्हें सीसी नहीं मिल रहा है. विभाग ने 48 घंटे में किसानों के भुगतान का आदेश दे रखा है. किसानों से समय पर खरीदारी का निर्देश दिया गया है. समितियों को सीसी ही नहीं मिल रहा है तो किसानों को समय पर भुगतान किसतरह से संभव हो पायेगा. शिकायत है कि प्रति लॉट एसएफसी और सहकारिता पदाधिकारी व कर्मियों के द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है. प्रति लॉट 20 से 25 हजार रुपए इस पेच में उनसे नजराना ले लिया जाता है.

नहीं मिल रहा बोनस

सभी पड़ोसी राज्यों में दो सौ से आठ सौ बोनस दिया जा रहा है. खरीदारी का मूल्य 2800 से 3200 तक हो गया है. वहां के व्यापारियों के द्वारा यहां पर धान की खरीदारी किसानों से की जा रही है. ढुलाई को लेकर प्रति क्विंटल 2200 तक का खर्च आता है और वहां के पैक्सों को बेचने पर प्रति क्विंटल पांच सौ का मुनाफा हो जाता है.

किसान भी हैं परेशान

किसानों से खेत व खलिहान से सीधे 2100 रुपए प्रति क्विंटल धान बाहरी व्यापारियों के द्वारा खरीदारी की जा रही है. नकदी देकर व्यापारी धान खरीदारी करता है. व्यापारी ही बोरा की लदाई करवाता है. वहीं समितियों के हाथ बेचने पर बोरा, नकदी नहीं दिया जाना, नमी का झंझट और अन्य समस्याएं है.

इसकारण किसान व्यापारियों के हाथों बेचने को बेहतर मानता है.

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