इंदौर न्यूज़: मोबाइल फोन सुविधाओं के साथ अब नई-नई परेशानियां भी खड़ी करने लगा है. इसके लगातार प्रयोग से जहां गर्दन की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं, वहीं चेहरे की झुर्रियां युवाओं को असमय ही बुजुर्ग बना रही है. युवाओं में दिखने वाले इन बुढ़ापे जैसे लक्षणों से चिकित्सक भी हैरान हैं. जीएमसी और एम्स के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के साथ प्रदेशभर में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. उनका कहना है कि लैपटॉप-मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल ही टेक नेक बीमारी दे रहा है.
जल्द आदत सुधारिए
अगर आप कम्प्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करते हैं और आपके बैठने का तरीका भी गलत है तो संभल जाइए. मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय नहीं दीजिए. खासकर जब इस पर कुछ पढ़ते हैं तो आंखों पर ज्यादा जोर पड़ता है. अब यह आदत जल्द सुधारिए नहीं तो बुढ़ापा जल्दी आ जाएगा. इसके साथ ही आपको टेक नेक बीमारी भी घेर लेगी.
● एक्टिव चीन ग्लाइडस: दीवार के सहारे सीधे खड़े होकर अपने हथेलियों से उस पर दबाव डालें, गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं. कंधों को सीधा रखें और कुछ देर बाद गर्दन को आगे लाएं.
क्या करें
स्क्रीन टाइम कम करें, दर्द वाली जगह बर्फ से सिकाई करें. दर्द से राहत पाने के लिए सरसों, लवैंडर के गर्म तेल से मालिश करें. चार-पांच दिन से ज्यादा दर्द है तो चिकित्सक को दिखाएं.
● आइडोमेट्रिक हेड प्रेस: दीवार के पास खड़े हो जाएं. दीवार पर एक तौलिया लगाकर उस पर सिर टिका लें. तौलिया पर सिर को पीछे की तरफ प्रेस करें और थोड़ी देर रुकने के बाद छोड़ दें.
डिस्प्ले डिवाइस की लत सिर से लेकर रीढ़ की हड्डी तक में दर्द का कारण बन सकती है. फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप के सही इस्तेमाल से बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है.
डॉ. सुनील पांडे, फीजियोथेरेपिस्ट
एक्सपर्ट व्यू
लैपटॉप और स्मार्टफोन पर ज्यादा देर तक काम करने से लिगामेंट्स, मसल्स और ज्वाइंट्स पर दबाव पड़ता है. वो भी तब जब आप सही तरीके से न बैठे हों. इससे मानसिक समस्याएं भी पैदा होने लगती है.
डॉ. आइडी चौरसिया, न्यूरो सर्जन, हमीदिया अस्पताल
साइकोलॉजी पर भी पड़ता है प्रभाव
डॉ. सृष्टि सिंह, पीएंडओ के अनुसार, स्मार्टफोन पर ज्यादा देर तक काम करने से लिगामेंट्स, मसल्स व गर्दन के ज्वाइंट्स पर दबाव बनता है. यह दर्द गर्दन से होते हुए सिर तक पहुंचता है. इसका प्रभाव साइकोलॉजी पर भी पड़ता है.