भोपाल: मोबाइल, बच्चे और गेम। यह लगभग हर घर की कहानी हो चुकी है। लेकिन यह कहानी किस हद तक खतरनाक मोड़ ले सकती है इसका अंदाजा भोपाल की इस घटना के बारे में पढ़कर लगाया जा सकता है। यहां पर एक बच्चे को मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलने की लत लग गई। गेम खेलते-खेलते एक दिन इस बच्चे ने अपनी फैमिली के साथ ऐसा गेम खेल दिया कि उसकी जान पर बन आई। शुक्र था कि पुलिस समय पर एक्टिव हो गई अन्यथा कुछ भी हो सकता था।
पिता के मोबाइल पर एसएमएस किया
भोपाल में 12 साल के आठवीं के एक बच्चे को ऑनलाइन का गेम शौक है। वह अक्सर इस गेम में डूब रहता है। चार दिन पहले गेम खेलते-खेलते अचानक उसे अपने परिवार के साथ गेम खेलने की सूझी। 7 अक्टूबर को दोपहर के बाद वह अचानक घर से निकल गया। फिर उसने अपने पिता के मोबाइल पर एसएमएस किया कि उसका अपहरण हो गया है। पिता के मोबाइल पर एसएमएस आते ही घर में भूचाल मच गया। आनन-फानन में बच्चे की तलाश शुरू हुई। जब वह आसपास कहीं नहीं मिला तो पुलिस को इसकी सूचना दी गई।
परिवार के पुलिस से मदद लेने से मिल गया बच्चा
सूचना मिलते ही पुलिस ने हरकत में आ गई। भोपाल के एसपी साईं थोटा ने परिवार से बच्चे का नंबर लिया और उसे मैसेज किया। इस दौरान उन्होंने अपनी पहचान नहीं जाहिर की और मैसेज के जरिए बात करते-करते उससे दोस्ती कर ली। बाचतीत में एसपी ने बच्चे से उसकी लोकेशन जान ली। वह इस बीच वह बच्चा ट्रेन से नीमच पहुंच चुका था। पुलिस ने वहां संबंधित रेल पुलिस को सूचना दी और बच्चे को बरामद कर लिया। बच्चे के मिलने के बाद परिवार ने राहत की सांस ली है।
मनोवैज्ञानक चिकित्सक डॉ. सुमित राय ने इस तरह के ऑनलाइन में डूबे रहने वाले बच्चों व लोगों के बारे में बताया है कि वे वास्तविक दुनिया से दूर हो जाते हैं। ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया को ही अपनी असल जिंदगी में उतारने लगते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने भी हाल की रिपोर्ट में ऑनलाइन गेमिंग को मानसिक बीमारी माना है।