इंदौर न्यूज़: गेहूं की कटाई के बाद से कृषि विभाग लगातार नरवाई (पराली) नहीं जलाने की किसानों से अपील कर रहा है. कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट ने नरवाई जलाने पर जुर्माना भी तय कर दिया है लेकिन इसके बाद भी बहुत असर नजर नहीं आ रहा है. स्थितियों को देखते हुए नरवाई जलाने की घटनाओं की निगरानी सैटेलाइट के माध्यम से शुरू कर दी गई है और इसके आंकड़े प्रतिदिन घटना स्थल के साथ जिलों को भेजे जाने लगे हैं. इस सप्ताह के शुरुआती सैटेलाइट इमेज के अनुसार, प्रदेश में सबसे ज्यादा नरवाई जलाने के मामले उज्जैन जिले में दर्ज किए गए हैं. यहां नरवाई जलाने के 129 मामले सामने आए हैं. सतना जिले में नरवाई जलाने के 6 मामले दर्ज किए गए हैं. हालांकि गत वर्ष नरवाई जलाने के मामले में सतना जिला टॉप में चल रहा था.
एक भी प्रकरण दर्ज नहीं
मप्र शासन पर्यावरण विभाग के नोटिफिकेशन तथा पर्यावरण सुरक्षा के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अंतर्गत फसलों की कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाए जाने को प्रतिबंधित किया गया है. कलेक्टर ने इस संबंध में जुर्माने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. आईसीएआर-क्रीम्स द्वारा प्रतिदिन सैटेलाइट इमेज संबंधित जिलों के उप संचालक कृषि और कलेक्टर को भेजी जा रही है. लेकिन अब तक किसी पर न तो प्रकरण दर्ज हुआ है और न ही जुर्माना लगाया गया है.
संभाग में सिर्फ सतना और सिंगरौली में
रीवा संभाग में नरवाई जलाने के मामले सिर्फ सतना और सिंगरौली जिले में दर्ज हुए हैं. पिछले साल की तुलना में इस साल नरवाई जलाने की घटनाओं में काफी कमी दर्ज की गई है. सतना में 6 मामले दर्ज हुए हैं इनमें तीन नागौद और तीन रघुराजनगर तहसील में दर्ज किए गए हैं. सिंगरौली में भी एक पराली जलाने का एक ही मामला सामने आया है. यहां देवसर तहसील में एक केस दर्ज किया गया है.
यह है नरवाई जलाने से नुकसान: नरवाई जलाने से पर्यावरण प्रदूषण, जनहानि, वन सम्पदा व अन्य प्रकार नुकसान होते हैं. इसके अलावा भूमि में मौजूद लाभदायक सूक्ष्म जीवांणु, केचुआ आदि नष्ट हो जाते हैं. भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है.
ये हैं टॉप 5 जिले
नरवाई जलाने के सबसे ज्यादा मामले जहां सामने आए, उनमें उज्जैन सबसे आगे है. उज्जैन में 129 मामले, विदिशा में 106, इंदौर में 66 मामले, सिवनी में 46 मामले और रायसेन में 35 मामले दर्ज किए गए हैं.