इंदौर में मनेगा ऐतिहासिक होली का त्योहार, हजारों हुरियारों के साथ निकलेगी 'गेर'
कोरोना वायरस (Covid-19) के कमजोर पड़ने पर मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) द्वारा इंदौर में "गेर" (रंगपंचमी की विशाल शोभायात्रा) को हरी झंडी (green flag) दिए जाने से उत्साहित आयोजक इस दशकों पुरानी त्योहारी परंपरा को बहाल करने की तैयारियों में जुट गए हैं.
कोरोना वायरस (Covid-19) के कमजोर पड़ने पर मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) द्वारा इंदौर में "गेर" (रंगपंचमी की विशाल शोभायात्रा) को हरी झंडी (green flag) दिए जाने से उत्साहित आयोजक इस दशकों पुरानी त्योहारी परंपरा को बहाल करने की तैयारियों में जुट गए हैं. फागुनी मस्ती के माहौल में निकलने वाली इस शोभायात्रा में हजारों हुरियारे जुटते हैं.
22 मार्च को है रंगपंचमी
अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 के प्रकोप के चलते प्रशासन ने पिछले दो साल से गेर के आयोजन पर रोक लगा रखी थी. उन्होंने बताया कि इन दिनों महामारी के मामले घटकर बेहद कम रह जाने के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 26 फरवरी को लोगों से कहा था कि वे होली और रंगपंचमी के त्योहार पूरी धूम-धाम से मनाते हुए गेर निकालें. इस बार रंगपंचमी पर 22 मार्च को पड़ रही है. संगम कॉर्नर रंगपंचमी महोत्सव समिति के अध्यक्ष कमलेश खंडेलवाल ने सोमवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, ''हमारा संगठन पिछले 68 साल से रंगपंचमी पर गेर निकाल रहा है. लेकिन इस बार गेर का आनंद कुछ अलग होगा क्योंकि यह दो साल के अंतराल के बाद निकलेगी.'' गेर इंदौर की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ा प्रमुख आयोजन है और इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं.
शहर के अलग-अलग हिस्सों से गुजरेगा रंगपंचमी का जुलूस
गौरतलब है कि गेर का ''फाग यात्रा'' के रूप में भी जाना जाता है. रंगपंचमी का यह जुलूस शहर के अलग-अलग हिस्सों से गुजरते हुए ऐतिहासिक राजबाड़ा (इंदौर के पूर्व होलकर शासकों का महल) के सामने पहुंचता है जहां रंग-गुलाल की चौतरफा बौछारों के बीच हजारों हुरियारों का आनंद में डूबा समूह कमाल का मंजर पेश करता है.
राजवंश से चली आ रही है परंपरा
जानकारों ने बताया कि मध्य प्रदेश के इस उत्सवधर्मी शहर में गेर की परंपरा रियासत काल में शुरू हुई, जब होलकर राजवंश के लोग रंगपंचमी पर आम जनता के साथ होली खेलने के लिए सड़कों पर निकलते थे. तब गेर में बैलगाड़ियों का बड़ा काफिला होता था जिन पर टेसू के फूलों और अन्य हर्बल वस्तुओं से तैयार रंगों की कड़ाही रखी होती थी. यह रंग गेर में शामिल होने वाले लोगों पर बड़ी-बड़ी पिचकारियों से बरसाया जाता था.