सार्थक संदेश देता मालवी नाटक ‘सांज को सहारो’

Update: 2023-02-22 13:32 GMT

इंदौर न्यूज़: रंग समूह के अदा द्वारा मंचित मालवी नाटक ‘सांज को सहारो’ युवाओं के विदेश चले जाने और उससे घर -परिवार और माता पिता के सम्मुख उपजी परिस्थितियों को बताता है. माता -पिता तमाम संघर्षों से अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देते हैं. यही उच्च शिक्षित बच्चे अपने कॅरियर और समृद्ध जीवन शैली की चाह में विदेशों में नौकरी करने चले जाते हैं और कुछ तो वहीं के होकर रह जाते हैं. हर मां-पिता अपने बच्चों को अच्छा बनाना चाहते हैं और उनकी प्रगति और कॅरियर में बाधा भी नहीं बनना चाहते हैं. माता-पिता नहीं चाहते कि उन्होंने अपने जीवन में जो अभाव और तकलीफें झेली हैं वो उनके बच्चे भी झेलें और इसीलिए वे उन्हें विदेश जाने की अनुमति दे देते हैं.

नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि बच्चे बेशक विदेश में जाएं और अपने और अपने परिवार के जीवन स्तर को ऊंचा उठाएं. उनके मां-पिता ने जो संघर्ष अपने जीवन में किया है और जो अभाव उन्होंने झेला है वह उनके बच्चों को न देखना पड़े ,लेकिन जब उनके मां-पिता के जीवन की सांझ हो और उन्हें सहारे की जरुरत हो तब उन्हें वापस अपने घर अपनी जड़ों की ओर लौट भी आना चाहिए और अपने माता-पिता के जीवन की सांज का सहारा बनना चाहिए. नाटक भावेश कानूनगो ने लिखा है और निर्देशन रजनीश दवे ने किया. मुख्य भूमिका में रजनीश दवे की थी.

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