स्वामी अड़गड़ानंद के परमहंस आश्रम में आत्महत्या करने वाले साधु जीवन बाबा का मध्यप्रदेश से गहरा कनेक्शन है। वे मर्डर के केस में फरारी काट रहे थे।
उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर में सक्तेशगढ़ स्थित स्वामी अड़गड़ानंद के परमहंस आश्रम में गुरुवार सुबह गोली लगने से जिस साधु जीवन बाबा उर्फ जीत (45 साल) की मौत हुई है। उसका मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले से खास संबंध है। दरअसल जीवन बाबा कोई और नहीं बल्कि शिवपुरी जिले में 30 साल पहले हुए एक मर्डर का मुख्य आरोपी जितेंद्र वैश है, जिसे दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा मिली थी, लेकिन जितेंद्र वैश उर्फ जीवन बाबा सेंट्रल जेल की दीवार फांदकर भाग निकला और उसके बाद से अब तक भेष बदलकर फरारी काट रहा था।
जितेंद्र वैश से जीवन बाबा बनने का सफर
शिवपुरी के कमलागंज में रहने वाले जितेंद्र वैश के पिता सीताराम पुलिस विभाग में नौकरी किया करते थे, बड़ा भाई भी पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। जितेंद्र ने महज 15 साल की उम्र में अपने हाथ खून से रंग लिए थे। अपराध की राह पर चलते हुए जितेंद्र ने साथियों के साथ मिलकर संजू भदौरिया नाम के एक युवक की हत्या की थी। संजू एसपी ऑफिस में पदस्थ रामअवतार भदौरिया का बेटा था।
इस केस में जितेंद्र दो साल शिवपुरी की जेल में बंद रहा। दोषी पाए जाने पर उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई, लेकिन वह सेंट्रल जेल की दीवारें पारकर भाग गया। बताया जाता है कि जितेंद्र वैश उर्फ जीवन बाबा भेष बदलने में बड़ा माहिर था। पुलिस क्या जितेंद्र के घरवालों को भी उसका 30 साल पहले वाला चेहरा याद नहीं है। बीते 30 सालों से शिवपुरी पुलिस जितेंद्र की तलाश में थी, लेकिन हत्यारा जितेंद्र जीवन बाबा के भेष में आजाद घूम रहा था।
आश्रम में दे चुका है आपराधिक घटनाओं को अंजाम
जितेंद्र भेष बदलकर आश्रम में रहा करता था। उसने आश्रम में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया था, जिसकी शिकायत भी दर्ज की गई थी, मामला दर्ज होने पर शिवपुरी में जांच की गई लेकिन तब मामले का खुलासा नहीं हुआ था, वहीं तब से जीवन बाबा फरार था। स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब तीन महीने पहले तक जीवन बाबा आश्रम की रसोई का काम देखते थे। इसी दौरान उन्होंने नाराज होकर किसी के ऊपर खौलता तेल फेंक दिया था। इस पर स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने उसे आश्रम से निष्कासित कर दिया था। लेकिन वह आश्रम में आते-जाते रहते थे।
बुधवार शाम को जीवन बाबा उर्फ जितेंद्र पैंट-शर्ट पहनकर आश्रम में आया था, जिसके चलते उन्हें किसी ने नहीं पहचाना। वह खाना खाकर आश्रम में ही सो गए। गुरुवार सुबह स्वामी अड़गड़ानंद महाराज रोज की तरह टहलने निकले थे। वापस अपने कमरे में पहुंचकर ध्यान में लीन हो गए। इसी बीच जीवन बाबा स्वामी जी के कमरे में घुसने की कोशिश करने लगे। कमरे के बाहर खड़े आशीष महाराज ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इसके बाद दोनों में हाथपाई शुरू हो गई। इस दौरान जीवन बाबा ने तमंचा निकालकर आशीष महाराज को गोली मार दी। गोली उनके पेट में लगी। इसके बाद दूसरे तमंचे से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।