इंदौर न्यूज़: प्रदेश में सबसे ज्यादा सहकारी संस्थाएं इंदौर में हैं, लेकिन सहकारिता विभाग का राजस्व जमा कराने में इंदौर पिछड़ता जा रहा है. हालत ये है कि इंदौर में कई सहकारी संस्थाओं ने अपनी ऑडिट फीस ही जमा नहीं कराई है. इंदौर में बकाया ऑडिट फीस एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा की हो गई है.
राज्य सरकार को सहकारिता विभाग से आय का मुख्य साधन ऑडिट फीस है. इंदौर में मौजूद 3 हजार संस्थाओं के ऑडिट से हर साल 4 करोड़ रुपए से ज्यादा की आय राज्य सरकार को होती है, लेकिन इंदौर में संस्थाओं के ऑडिट ही नहीं हो रहे थे. हालत ये है कि अभी तक 51 फीसदी का ऑडिट हो पाया है. उसमें से भी महज 20 फीसदी की ही ऑडिट फीस जमा की है. दरअसल इंदौर में सहायक आयुक्त की पोस्ट खाली होने के कारण ऑडिट नोट ही स्वीकृत नहीं हो पा रहे थे. वहीं सरकार ने पिछले दिनों बड़वानी के सहायक आयुक्त सुरेश सावले को इंदौर का चार्ज दिया था.
बीते दिनों सहकारी बैंकों के ऑडिट फीस के 8 लाख रुपए जमा हुए थे. उसके साथ ही जिन संस्थाओं की ऑडिट फीस की राशि जमा नहीं हुई है, उनसे ऑडिट फीस जमा कराने के लिए विभाग ने काम शुरू कर दिया है. सहकारिता सहायक आयुक्त सावले के मुताबिक बकाया ऑडिट फीस की वसूली के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं. यदि इसके बाद में भी अगले 10 दिनों में ऑडिट फीस की वसूली नहीं हुई तो संस्थाओं को बकाया राशि जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए जाएंगे.