निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मामले में हाईकोर्ट ने वकील को पेश होने के दिए निर्देश

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप, पॉक्सो सहित अन्य मामलों की सुनवाई के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्भया मामले में पारित आदेश का पालन नहीं किए.

Update: 2022-03-29 11:49 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रेप, पॉक्सो सहित अन्य मामलों की सुनवाई के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्भया मामले में पारित आदेश का पालन नहीं किए. जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ और जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने महिला अधिवक्ता को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल उच्च न्यायालय में ऐसे प्रकरणों की सुनवाई का प्रसारण यू-टयूब में किया जाता है। ग्वालियर की अधिवक्ता संगीता पचौरी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि निर्भया तथा अर्पणा भट्ट के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश जारी किए है कि रेप,पॉक्सो,छेड़छाड़ सहित अन्य मामलों में पीड़ितों का नाम व पहचान उजागर नहीं करने के निर्देश दिए है। ऐसा करना धारा 354 डी के तहत अपराध माना गया है।
याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय में ऐसे प्रकरणों की सुनवाई का प्रसारण यूट्यूब में किया जाता है। सुनवाई के दौरान जो टिप्पणी की जाती है, उसकी रिकॉर्डिग कर उसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया जाता है। ऑन लाइन सुनवाई के कारण पीड़िता की पहचान सामने आ जाती है। याचिका में पीआर व आईसी सेल ग्वालियर हाईकोर्ट, प्रमुख सचिव गृह विभाग,डीजीपी तथा एसपी ग्वालियर को अनावेदक बनाया गया है। अधिवक्ता संगीता पचौरी ने बताया कि सोमवार को हुई प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उनके अधिवक्ता को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता महिला अधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें। याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित की गयी है।
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