बीमा क्षेत्र में पांच साल तक 50,000 करोड़ सालाना पूंजी की जरूरत से अधिक साधारण बीमा कंपनियां सक्रिय बाजार में
भोपाल न्यूज़: बीमा उद्योग को अगले पांच वर्षों में अपनी पहुंच को दोगुना करने के लिए प्रति वर्ष 50,000 करोड़ रुपए पूंजी की जरूरत होगी. बीमा नियामक इरडा के प्रमुख देवाशीष पांडा ने उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कारोबारी समूहों को बीमा क्षेत्र में पूंजी लगाने के बारे में सोचना चाहिए. जीवन बीमा कंपनियों के मामले में इक्विटी पर रिटर्न 14 प्रतिशत और साधारण बीमा कंपनियों के लिए 16 प्रतिशत है.
शीर्ष पांच बीमा कंपनियों का इक्विटी पर मिलने वाला रिटर्न 20 प्रतिशत तक है. बीमा क्षेत्र बेहद प्रतिस्पर्धी उद्योग है जिसमें लगभग दो दर्जन जीवन बीमा कंपनियां और 30 से अधिक साधारण बीमा कंपनियां सक्रिय हैं.
क्रमिक विकास जारी रखना होगा: पांडा ने कहा, मैं इस देश में मौजूद कंपनियों और अपना पैसा लगाने की मंशा रखने वाले निवेशकों तक पहुंचना चाहूंगा. लक्ष्य अगले पांच वर्षों में बीमा की पहुंच को दोगुना करना है. उन्होंने आजादी के सौ साल पूरा होने यानी वर्ष 2047 तक सभी का बीमा करने को संभव बताते हुए कहा कि इसके लिए क्रमिक विकास जारी रखना होगा. पांडा ने कहा कि भारत इस समय बीमा कारोबार में दुनिया का दसवां सबसे बड़ा बाजार है और वर्ष 2032 तक यह छठा सबसे बड़ा बाजार हो जाएगा. इरडा प्रमुख ने कहा, हमें बीमा के वितरण के तरीके पर नए सिरे से विचार करना होगा. उन्होंने बीमाकर्ताओं से लोगों की बदलती जरूरतों के अनुरूप उत्पाद पेश करने पर ध्यान देने को भी कहा.