इंदौर न्यूज़: शहर में आबोहवा को लेकर अब संस्थागत जागरुकता भी सामने आने लगी है. नगर निगम द्वारा मालवा कन्या स्कूल में आधुनिक पॉल्यूशन मेजरमेंट सिस्टम लगाने के बाद अब आइआइएम प्रदेश का पहला ऐसा संस्थान बन गया है, जहां परिसर की एयर क्वालिटी मापने की कवायद शुरू हुई. इसके लिए तीन एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं. इससे पश्चिमी शहर की आबोहवा को शुद्ध करने पर नजर रखा जाएगा.
खास बात यह है कि इस सिस्टम से शहर में पहली बार ध्वनि प्रदूषण का भी सतत मापन होगा. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइआइएम) इंदौर नवाचारों के लिए न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया में भी अलग पहचान रखता है. पर्यावरण सुधार की दिशा में आइआइएम में वाटर रिचार्जिंग, जैविक सब्जियों की खेती, सोलर पैनल जैसे कदम तो उठाए गए हैं. साथ ही जैविक सब्जियां उगाकर आइआइएम बेहतर खेती का उदाहरण पेश कर चुका है. इस खेती में किसी तरह के कैमिकल का इस्तेमाल नहीं होता और इसकी सिंचाई के लिए रिसाइकल किए गए पानी का इस्तेमाल किया जाता है. आइआइएम ने अब हवा की गुणवत्ता और ध्वनि की स्थिति मापने के लिए भी कदम बढ़ाया है. इसके लिए आइआइएम परिसर के एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक, एकेडमिक ब्लॉक और संजीवनी गार्डन में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगाए गए. आइआइएम प्रबंधन के अनुसार, बढ़ता प्रदूषण चुनौती बनता जा रहा है. इंदौर स्वच्छता के क्षेत्र में अलग मुकाम रखता है. अब आबोहवा सुधारने के लिए भी जमीनी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. आइआइएम भी इस पहल में साथ है. हवा और ध्वनि के स्तर पर लगातार निगरानी रखते हुए स्थिति बिगड़ने से पहले कदम उठाकर नियंत्रित करने में आसानी होगी.
हमने पीएम 2.5, पीएम 10, सीओ2, टीवीओसी, तापमान व शोर के स्तर सहित वायु गुणवत्ता में योगदान देने वाले मापदंडों की बारीकी से निगरानी और मूल्यांकन के लिए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए हैं. अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली से हवा की गुणवत्ता को बढ़ाने का लक्ष्य सुनिश्चित हो सकेगा. पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग रह कर हमने अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने, प्रदूषकों के प्रभाव को कम करने और मानव गतिविधियों और प्रकृति के बीच एक सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं.
- प्रो. हिमांशु राय, डायरेक्टर, आइआइएम इंदौर