इंदौर के एक शातिर गिरोह ने जामताड़ा के ट्रिक से अमेरिका के लोगों को 100 करोड़ का चुना लगाया जाने कैसे
100 करोड़ का चुना
देश में साइबर क्राइम का गढ़ झारखंड का जामताड़ा जिला है। इंदौर के एक शातिर गिरोह ने जामताड़ा के ट्रिक से अमेरिका के लोगों को ठगा। शातिर ठगों ने 20 हजार अमेरिकियों को 100 करोड़ रुपए की चपत लगा दी। गिरोह के मास्टरमाइंड करण भट्ट को पुलिस ने राजस्थान से गिरफ्तार किया है। पूछताछ में मास्टरमाइंड ने बताया, देश के कई बड़े शहरों में कॉल सेंटर के जरिए अमेरिका के लोगों से डॉलर में ठगी कर रहे थे। गिरोह के सदस्य रोजाना 15 हजार डॉलर खाते में जमा करा लेते थे।
बता दें कि नवंबर 2020 में पुलिस ने आरोपी के लसूड़िया क्षेत्र से संचालित फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर पर छापा मारा था। यहां काम करने वाले 22 लोगों को गिरफ्तार किया था। दो माह पहले अमेरिकी जांच एजेंसी फबि की टीम ने पुलिस कमिशनर हरि नारायण चारी मिश्र से मुलाकात की थी। FBI ने बताया कि भारत के कई इलाकों से फर्जी कॉल सेंटर के जरिए अमेरिकी नागरिकों से ठगी की जा रही है। इसके बाद इंदौर पुलिस ने ऐसे कई कॉल सेंटर पर कार्रवाई की थी।
जानिए कैसे करते थे साइबर क्राइम
भारत में बैठकर फर्जी कॉल सेंटर से अमेरिका के लोगों को कॉल किया जाता था। कॉल स्पूफिंग के माध्यम से यह दर्शाया जा रहा था कि कॉल अमेरिका से ही आ रहा है। आरोपी खुद को अमेरिका के SSN (सोशल सिक्योरिटी नंबर) अधिकारी बताकर बात करते थे। फर्जीवाड़े से वसूली गई राशि चीन, हांगकांग, पेरू के फर्जी खातों में जमा करवाकर हवाला के जरिए भारत मंगवाई जाती थी।
मास्टरमाइंड करण भट्ट डार्क नेट से अमेरिकी नागरिकों का डेटा खरीदता था। आरोपियों के लैपटॉप, कंप्यूटर की जांच की तो 10 लाख से ज्यादा अमेरिकी नागरिकों का डाटा मिला। करण ने बताया कि फरारी के दौरान दिल्ली, पंजाब, गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र में रहा। तीन महीने पूर्व आईटी पार्क चंडीगढ़ में कॉल सेंटर खोला। पुलिस अब हवाला का रुपए लाने वालों की तलाश कर रही है।
ऐसे होती है कॉल स्पूफिंग
मान लीजिए आपके पास आपके बैंक से कॉल आता है। मोबाइल स्क्रीन पर शो हो रहा नंबर आपके बैंक का होने से आप यही समझेंगे कि कॉल बैंक से ही है। अब फोन करने वाला आपसे डिटेल मांगेगा, जैसे, डेट ऑफ बर्थ, आधार कार्ड नंबर, OTP (वन टाइम पासवर्ड)। आप भी उसे बैंकिंग से जुड़ी सारी डिटेल्स दे देते हैं। इसके बाद आपके खाते से रकम निकल जाती है। बैंक में कॉन्टैक्ट करते हैं, तो पता चलता है कि ऐसा कोई कॉल उनकी और से नहीं किया गया।