होशंगाबाद: पुलिस ने अंतर्राज्यीय वाहन चोर गिरोह के 14 सदस्यों को किया गिरफ्तार, तीन करोड़ के 25 वाहन जप्त
क्राइम न्यूज़ अपडेट: प्रदेश पुलिस के मुखिया पुलिस महानिदेशक श्री विवेक जौहरी के मार्गदर्शन में एवं नर्मदापुरम संभाग के पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती दीपिका सूरी के निर्देशन में संभाग के उप पुलिस महानिरीक्षक श्री जगत सिंह राजपूत के नेतृत्व में कार चोरी के संबंध में माह अक्टूबर में एसआईटी गठित की गई। इसमें पुलिस अधीक्षक हरदा श्री मनीष कुमार अग्रवाल एवं नर्मदापुरम पुलिस अधीक्षक श्री गुरूकरण सिंह समेत निरीक्षक से आरक्षक श्रेणी के अधिकारी / कर्मचारी सम्मिलित थे। जिन्होंने पृथक-पृथक राज्यों से अंतर्राज्यीय वाहन चोरी करने वाले दो गिरोह को पकड़ने में सफलता हासिल की है। इस गिरोह से पुलिस ने करीब तीन करोड़ रूपये कीमत के 25 चार पहिया वाहन सहित चोरी करने में उपयोग आने वाली डिवाईस जप्त की है। इस दौरान पुलिस ने दोनों गिरोह के 14 आरोपियों को चार राज्यों से गिरफ्तार किया है।
मामले की शुरुआत तब हुई जब इटारसी में एक वाहन स्वीफ्ट कार 11 अक्तूबर 2021 को चोरी हुई थी, जिसके बाद पुलिस महानिरीक्षक ने संभाग में हुई चार पहिया वाहनों की चोरी के संबंध में जानकारी ली और उन्होंने हरदा पुलिस अधीक्षक एवं नर्मदापुरम पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में एक एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया। जिसमें हरदा के अलावा नर्मदापुरम जिले के पुलिस अधिकारी कर्मचारी शामिल किये गए। उक्त दल द्वारा इटारसी से चोरी हुई स्वीफ्ट कार की घटना दिनांक से रूट की जानकारी हासिल की। इस दौरान पुलिस को एक महत्वपूर्ण जानकारी हाथ लगी की चोरी गई कार का रूट जहां पहुंचा, वहीं एक संदेही कमल पिता देवीसिंह धाकड़ जाति किरार निवासी उदयपुरा जिला रायसेन की लोकेशन भी मिली। पुलिस दल को इस दौरान आरोपी कमल के बारे में जानकारी मिली थी कि वह वाहन चोरी के पुराने मामलों का भी आरोपी रहा है। एसआईटी द्वारा कमल से पूछताछ की गई तो उसने कन्नौद खातेगांव, सिवनी मालवा, पिपरिया ओब्दुल्लागंज एवं ईटारसी से वाहन चोरी करके ड्रायवर के माध्यम से बनारस में मिथलेश नामक व्यक्ति को तथा भुवनेश्वर (ओड़िसा) में अब्दुल शकूर को बेचना कबूल किया। इसके आधार पर एसआईटी चंदोली पुलिस थाना क्षेत्र में स्थानीय पुलिस की मदद से मिथलेश कुमार मोर्य पिता फूलचंद मोर्य निवासी चॉकघाट वाराणसी (उत्तरप्रदेश) को हिरासत में लिया तथा पूछताछ की। जिसमें उसने कमल धाकड़ से चोरी की गाड़ी खरीदकर बेचना स्वीकार किया। इसके बाद मिथलेश की निशानदेही पर एसआईटी ने स्थानीय पुलिस की मदद से उसके पास से आठ वाहन जप्त किये। एसआईटी द्वारा आरोपी कमल धाकड़ की निशादेही पर उसके घर ग्राम उदयपन तथा भोपाल वाले घर से दो वाहन जप्त किए गए, साथ ही मिथलेश द्वारा बेचा गया एक वाहन जो कन्नौद से चोरी हुआ था, सैदपुर उत्तरप्रदेश से जप्त किया गया।
आरोपी कमल से मिली जानकारी के आधार पर एसआईटी ने स्थानीय पुलिस की मदद से ओड़िसा के भुवनेश्वर पहुंचकर 01 वाहन अब्दुल शकूर से जप्त किया। उक्त वाहन की चोरी का अपराध विदिशा जिले के थाना गुलाबगंज में दर्ज है। एसआईटी ने बिहार से 11 वाहन जप्त किये हैं, इसकी शुरुआत हरदा में वाहन बेंचने आये आरोपी की गिरफ्तारी से शुरू हुई। पुलिस को मुखबिर के माध्यम से जानकारी मिली की 11 फरवरी 2022 को पटना का अमितेश उर्फ मोनू नामक व्यक्ति हरदा के रेलवे स्टेशन पर चोरी का एक चार पहिया वाहन बेचने आया है। पुलिस ने तत्काल घेराबंदी करके आरोपी को काले रंग की क्रेटा के साथ गिरफ्तार किया। हरदा सिटी कोतवाली ने इस मामले में धारा 411, 413 भादवि का अपराध दर्ज किया। आरोपी से पूछताछ करने पर बताया कि वह चोरी की गाड़ियों को बेचने का काम करता है। मुझे यह चोरी की गाडियां ग्वालियर वाले अजय शर्मा और उसके अन्य साथी ड्राईवरों के माध्यम से भिजवाते थे, जिनकी नम्बर प्लेट बदलने के लिए उसी कलर और उसी कम्पनी के वाहन को तलाशते थे। उसके बाद हम चोरी के वाहन पर नंबर प्लेट बदल लेते थे। मोनू ने बताया कि दो चोरी के वाहन उसने इटारसी स्टेशन पर बेंचने के लिए खड़े करे हैं तथा अन्य चोरी के वाहन उसने छोटू निवासी पटना, हनीसिंह निवासी पटना, बंटी निवासी मुज्जफरपुर और सोहेल निवासी जमशेदपुर को बेचना बताया। उक्त सूचना पर एसआईटी द्वारा ईटारसी स्टेशन से 02 वाहन तथा उपरोक्त व्यक्तियों से विभिन्न स्थानों पर दबिश देकर 07 वाहन जप्त किए। मामले में फरार अजय शर्मा (गाड़ी चुराने वाला) को शिवपुरी के पास हाईवे से हिरासत में लिया गया। जिसके कब्जे से 01 वाहन चोरी का जप्त किया गया तथा उसके साथी ज्ञानी गुप्ता से भी एक वाहन जप्त किया गया।
एसआईटी द्वारा उपरोक्त दोनों गिरोह से कुल 25 वाहन जप्त किए गए। जिनकी कीमत लगभग 03 करोड़ रूपए है। साथ ही गाड़ी चोरी करने वाले, चोरी की गाड़ी खरीदने वाले और अन्य सहयोगियों सहित दोनों गिरोह के कुल 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। आरोपियों द्वारा उक्त वारदातों को तीन चरणों में अंजाम दिया जाता था, पहले चोरी करने वाले आरोपियों द्वारा सूने स्थान पर खड़ी गाड़ी को चिन्हित कर उसका एक विन्डो ग्लास तोड़ा जाता था, फिर गाड़ी के अंदर घुसकर आरोपियों द्वारा उनके पास उपलब्ध गेजेट के माध्यम से गाड़ी की चाबी में प्रोग्रामिंग इंस्टाल कर ली जाती है। दूसरे चरण में उक्त आरोपियों द्वारा ड्रायवरों के माध्यम से गाड़ियों को ओडिसा, बनारस एवं पटना भेजा जाता है, और तीसरे चरण में उक्त चोरी की गाड़ियों का कय-विक्रय अलग-अलग राज्यों के आरोपियों के समूह द्वारा किया जाता है। आरोपियों से पूछताछ पर उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्ट्या गाड़ी रजिस्ट्रेशन नंबर से देखी जाती हैं, इंजन नंबर व चैचिस नंबर पर किसी की नजर नहीं जाती है, तो उक्त बातों को ध्यान में रखकर हाईवे पर जा रही किसी भी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर, कलर व मॉडल लिख लिया जाता है, ठीक इसी प्रकार एक्सीडेंटल गाड़ियों (जो पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो जाती है) की जानकारी भी ले ली जाती है, ताकि उसी मॉडल और कलर की चोरी की गाड़ी आने पर उस पर वह नंबर लिख लिया जाए। गाड़ियों के संबंध में कय विकय की पूरी बातें व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से की जाती थी।