हाईकोर्ट ने दिए वकील के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश, जानें क्या है पूरा माजरा

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Update: 2022-05-09 16:06 GMT

भोपाल: एक अधिवक्ता के आचरण को एमपी हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी माना है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार को निर्देशित किया है कि सीआरपीसी की धारा 340 की कार्यवाही के संबंध में अधिवक्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाये।

दरअसल टीकमगढ़ जिले के जतारा थाने में धोखाधड़ी के अपराध में पुलिस ने अधिवक्ता सुरेश प्रसाद खरे तथा उसके बेटे रूपेश खरे को आरोपी बनाया था। आरोप है कि दोनों ने चौपहिया वाहन की खरीदी में 20 प्रतिशत की छूट दिलवाने का प्रलोभन देकर गंगानगर निवासी सेना के कर्मचारी के साथ धोखाधड़ी की थी। इस एफआईआर को निरस्त करने की मांग करते हुए अधिवक्ता सुरेश प्रसाद खरे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि संज्ञेय अपराध की जांच के दौरान क्षेत्राधिकारी के आधार पर एफआईआर को निरस्त नहीं किया जा सकता है।
अधिवक्ता के बेटे रूपेश खरे की तरफ से भी एफआईआर को निरस्त करने याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया था कि घटित अपराध संबंधित थाने में घटित नहीं हुआ है। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेश प्रसाद खरे भी प्रकरण में सह आरोपी हैं। पहले अधिवक्ता की याचिका खारिज हो चुकी थी, इसके बावजूद भी वह संबंधित मामले में बेटे की याचिका पर पैरवी कर रहे हैं।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि यह न्यायालय के साथ धोखाधड़ी है तथा व्यवसायिक कदाचरण है। कोर्ट ने अधिवक्ता के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्रवाई के संबंध में नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इस संबंध में बीसीआई के नियम को भी देखना चाहता हूं कि अधिवक्ता के अपने ग्राहकों के क्या दायित्व हैं। एकलपीठ ने अपेक्षा की है कि अधिवक्ता के खिलाफ कदाचार व अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी।
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