नगर निगम सीमा में बनाए गए रैन बसेरों को लेकर हाई कोर्ट में चल रही जनहित याचिका में गुरुवार को अंतिम बहस होना है। याचिका 2014 में दायर हुई थी।
याचिका सामाजिक कार्यकर्ता अंजली आनंद ने एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान के माध्यम से 2014 में दायर की थी। याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशानुसार एक लाख की जनसंख्या पर एक रैन बसेरा होना चाहिए। 2011 की जनसंख्या के हिसाब से इंदौर जिले में 32 रैन बसेरे बनाए जाने थे, लेकिन सिर्फ 11 बनाए गए। ये रैन बसेरे भी बदहाल हैं। इनमें भिक्षुओं को प्रवेश तक नहीं दिया जाता।
रैन बसेरों में महिलाओं की सुरक्षा का भी इंतजाम नहीं है। ये गंदगी से अटे पड़े रहते हैं। निगम ने अपने जवाब में याचिका में लगाए गए आरोपों को नकारा है। निगम का कहना है कि कहना है कि रैन बसेरों की स्थिति बेहतर है और वहां सुरक्षा और पीने के पानी का पर्याप्त इंतजाम है। याचिकाकर्ता ने खुद भी शहर के कुछ रैन बसेरों का दौरा कर वहां की वास्तविकता कोर्ट के समक्ष रखी थी। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को अंतिम सुनवाई के लिए ग्राह्य कर लिया। पिछली सुनवाई पर याचिका में अंतिम बहस होना थी लेकिन टल गई थी।