शहर के गिरवाई, चिरवाई, पुरानी छावनी, मऊ-जमाहर, बड़ागांव सहित कई इलाकों में अवैध कालोनियां तैयार की जा रही हैं। ये वो इलाके हैं, जो नगर निगम के ग्रामीण वार्डो में आते हैं। यहां आमतौर पर निगम अधिकारी ज्यादा सक्रिय नहीं रहते हैं। इन अवैध कालोनियों में प्लाट खरीदने वाले अधिकतर मध्यमवर्गीय या निकटवर्ती गांवों के लोग होते हैं, जिन्हें नियमों की बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती है। शुरू में मकान बनाने के लिए फाइनेंस कराने से लेकर लोन दिलाने तक का झांसा दिया जाता है। ये कालोनाइजर बेहिचक बोलते हैं कि उन्होंने टीएंडसीपी या नगर निगम से कोई भी अनुमति हासिल नहीं की है, लेकिन कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। आप सर्वसुविधा युक्त घर बना सकते हो। ऐसे में इन कालोनियों को बढ़ावा देने के खेल में अधिकारियों की मिलीभगत से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है।