सरकारी बोरिंग सूख गए, हैंडपंप ने तोड़ा दम

Update: 2023-05-20 13:28 GMT

इंदौर न्यूज़: गर्मी शुरू होते ही शहर के कई क्षेत्रों में जलसंकट ने पैर पसार लिए हैं. लोगों को पेयजल तक नहीं मिल पा रहा. जो पानी मिल रहा है, वह भी गंदा आ रहा है.

लसूड़िया मोरी में कुछ ज्यादा समस्या है. रहवासियों का कहना है, शिकायत करने के बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं देते हैं. पानी की किल्लत तो गर्मी में हर साल होती है, लेकिन इस साल कुछ ज्यादा ही हो गई है. मई माह में तो इतनी परेशानी बढ़ गई है कि लोग बड़ी मुश्किल से पानी की पूर्ति कर रहे हैं.

रहवासियों को बेहतर मूलभूत सुविधाएं तो मिलनी ही चाहिए, लेकिन हमारे इलाके में तो पानी की इतनी ज्यादा दिक्कत हो रही है कि क्या बताएं. चुनाव के दौरान तो कई वादे किए जाते हैं, लेकिन बाद में कोई देखने भी नहीं आता है.

सोनू सिरसिया, रहवासी

इलाके के बोरिंग तो सूख गए है, वहीं टैंकर भी नहीं आता है. परेशान रहवासी कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन ध्यान नहीं दिया जाता है. जिम्मेदार अधिकारियों को गंभीर होने की जरूरत है.

लक्ष्मीनारायण राठौर, रहवासी

मई माह में पानी की इतनी ज्यादा दिक्कत हो गई है कि रहवासी बेहद परेशान है. निगम ने नर्मदा की टंकी बनाते समय कई वादे किए थे, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी टंकी सिर्फ नाम के लिए है. लोग शिकायत करके थक गए हैं.

विनोद सोलंकी, रहवासी

जनता को बेहतर सुविधाएं तो मिलनी ही चाहिए. यह उनका अधिकार भी है, लेकिन हमारे क्षेत्र में निगम की टीम ध्यान नहीं दे रही है, जिस कारण अच्छी सुविधाएं तो दूर काम चलाऊ भी नहीं मिल पा रही है.

राहुल मालवीय, रहवासी

क्षेत्र में दो सरकारी बोरिंग हैं, लेकिन इनमें पानी नहीं है. एकमात्र हैंडपंप है, जिसने दम तोड़ दिया है. रहवासियों ने बताया कि गर्मी में दूसरे क्षेत्र में तो टैंकर भेजा जाता है, लेकिन हमारे क्षेत्र की कोई सुध नहीं लेता. इससे जनता परेशान हो रही है. यहां के रहने वाले लीलाधर बोरिया, बंशीलाल, मुकेश सिलोटिया सहित अन्य लोगों ने बताया कि गांव में पानी की समस्या नई बात नहीं है. कुछ साल पहले बोरिंग और हैंडपंप चालू थे तो दिक्कत आने पर वहां से पानी की पूर्ति हो जाती थी, लेकिन देखरेख के अभाव में बंद होने से ज्यादा दिक्कत आ गई है. इलाके में तीन गलियां हैं, जिनमें लगभग 1500 लोग रहते हैं. यहां अधिकांश लोग मध्यमवर्गीय परिवार के हैं तो मजदूर तबके के लोग भी निवासरत हैं. पानी के लिए क्षेत्र में हाहाकार मचा है. लोगों का कहना है सुबह सारे काम छोड़कर सबसे पहले पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. कई बार निजी खर्च से टैंकर बुलवाना पड़ता है तो कई बार दूसरे क्षेत्रों में जाकर पानी लाना पड़ता है. जिम्मेदार अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए. आखिर कब हमारी समस्या का समाधान होगा.

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