हस्ताक्षर अभियान चलाकर वार्डन की वापसी के लिए डीएवीवी कुलपति से की मांग

Update: 2023-02-10 10:06 GMT

इंदौर न्यूज़: रामाबाई गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन रहीं डॉ. सुनीता गौर को हटाने के खिलाफ छात्राओं ने विरोध शुरू कर दिया है. हॉस्टल की छात्राओं ने उन्हें दोबारा वार्डन बनाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया. इस दौरान 70 से ज्यादा छात्राओं ने वार्डन के समर्थन में अपने हस्ताक्षर किए.

इन चिट्ठियों के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रनेता कुलपति डॉ. रेणु जैन से भी मिले, लेकिन उन्होंने डॉ. गौर को दोबारा वार्डन बनाने से साफ मना कर दिया. वहीं, छात्र नेता कुलपति पर अपने करीबियों को बचाने का आरोप भी लगा रहे हैं. हॉस्टल में मौजूद अव्यवस्थाओं को लेकर पांच जनवरी को छात्राओं ने चीफ वार्डन कार्यालय का घेराव किया था.

छात्राओं और चीफ वार्डन डॉ. नम्रता शर्मा के बीच विवाद भी हुआ था. छात्राओं व चीफ वार्डन के बीच हल्की झूमाझटकी भी हुई थी. कुछ छात्राओं ने चीफ वार्डन पर बाल खींचने व हाथापाई का आरोप भी लगाया था. उस समय एबीवीपी ने ही चीफ वार्डन को हटाने की मांग करते हुए एक पत्र विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया था. साथ ही हॉस्टल की व्यवस्था सुधारने की मांग की थी. विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई थी. समिति ने जांच में एक महीने का समय लगाया और अपनी रिपोर्ट में चीफ वार्डन को क्लीनचिट दी थी. वहीं, बताया जा रहा है कि इसी बीच कुलपति ने हॉस्टल का निरीक्षण किया था. इसके बाद उन्होंने हॉस्टल वार्डन को हटा दिया था.

बताया जा रहा है कि छात्राओं के प्रदर्शन के दौरान हॉस्टल वार्डन ने हॉस्टल के सुधार व मेंटेनेंस से जुड़ेे कार्यों की फाइल चीफ वार्डन के पास होने की बात कही थी, जिसके चलते उन्हें हटाने में चीफ वार्डन की भूमिका होने की चर्चा जोरों पर है. वार्डन को हटाने के पीछे तर्क दिया गया है कि वे अपने 18 वर्षीय बेटे के साथ हॉस्टल परिसर में ही रहती हैं, जो कि नियमों के खिलाफ है. वहीं इस तर्क को लेकर भी छात्र नेताओं में गुस्सा है.

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