फीस के साथ निकाल रहे खर्च, बड़े मंदिरों के लिए तैयार हो रहे हैं वेदपाठी पुजारी
भोपाल न्यूज़: विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए अर्न व्हाइल यू लर्न (सीखते समय कमाएं) योजना अब तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है. वहीं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र कर्मकांड कराकर इस योजना को साकार कर रहे हैं. यहां शास्त्री-आचार्य से लेकर पीएचडी तक के तमाम छात्र पूजा-पाठ कराने में जुटे हुए हैं. इससे पढ़ाई का खर्च स्वयं वहन करते हैं. इसके साथ ही वे अपना खर्च भी निकाल रहे हैं. इस प्रकार विश्वविद्यालय के छात्र कर्मकांड से कर्म पथ की प्रगति पर अग्रसर हैं.
छात्रों का कहना है कि शास्त्री-आचार्य के पाठ्यक्रम में पूजा-पाठ की विधि भी शामिल है. वैसे भी नियमित एक से डेढ़ घंटा पूजा-पाठ करते हैं. साथ ही मौका मिलने पर यजमानों के यहां भी कर्मकांड कराते रहते हैं. शादी-विवाह, गृहप्रवेश सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में वरिष्ठ आचार्य सहयोग लेते रहते हैं. साथ ही यजमान से दक्षिणा भी दिलाते हैं. ऐसे में यजमानों से सीधे संपर्क हो जाता है. विश्वविद्यालय के जुड़े होने के कारण बाहर काफी सम्मान भी मिलता है.
हमारी संस्कृति को समझने का मौका मिलता है
ज्योतिष (भविष्य पुराण) में आचार्य की डिग्री लेने वाले रोहित पचौरी का कहना है कि वे कथावाचक के तौर पर भविष्य बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा आज के दौर में भी इसमें काफी स्कोप है. सबसे अच्छी बात तो यह है कि इसके माध्यम से ग्रंथों का अध्ययन करने का मौका मिलता है. अब तक वे कई ज्योतिष शास्त्र के साथ पुराण, उपनिषद आदि का अध्ययन कर चुके हैं.
ज्योतिषशास्त्र से जानना चाहती हूं मौसम में कैसे आता है परिवर्तन
हिमाचल से ज्योतिषशास्त्र में पीएचडी करने वाली समिता ने बताया कि उन्हें हमेशा से ज्योतिष में रुचि रही है. वह मौसम में आने वाले परिवर्तन को लोगों तक ज्योतिष के माध्यम से पहुंचाना चाहतीं हैं. उनका कहना है कि कई बार देखते हैं कि किसी राज्य में बारिश होती है, तो कहीं भयंकर गर्मी रहती है. इसका ज्योतिष से भी संबंध है. किस कारण यह परिवर्तन आता है.
लोगों तक शास्त्र ज्ञान पहुंचाना ही उद्देश्य
ज्योतिष शास्त्र में बीए (शास्त्री) के विद्यार्थी प्रशांत मिश्रा ने बताया कि उनके पिता एक अच्छे कथावाचक हैं. उनसे ही प्रेरित होकर वे इसमें अपना करियर बनाना चाहते हैं. फिलहाल वह शिवपुराण कथा कर रहे हैं. ग्रंथों का अध्ययन करना उनको बहुत पसंद हैं. आज के दौर में इसमें पैसा भी है और पहचान भी.
नवरात्र, शिवरात्रि, सावन आदि में लगातार पाठ कराने का 2100 से 5100 रुपए की दक्षिणा मिलती है. विश्वविद्यालय में शास्त्री (बीए) आचार्य (एमए) में विद्यार्थियों की संख्या 659 है. इनमें से अधिकांश छात्र कर्मकांड से जुड़े हैं.